झारखंड शराब घोटाले की पूरी कहानी: घोटाला करने पूरी शराब नीति ही बदल दी, रायपुर में हुई थी अफसरों की मीटिंग, फिर विधानसभा में प्रस्ताव…

Sharab Ghotala : IAS विनय कुमार चौबे की मुश्किलें बढ़नी तय है। शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ में दर्ज झारखंड IAS अफसर के साथ कई और अफसर भी लपेटे में आने वाले हैं। छत्तीसगढ़ ACB- EOW की ओर से 7 सितंबर को दर्ज की गई FIR के मुताबिक जिस पैटर्न पर छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ का शराब घोटाला हुआ था, ठीक उसी अंदाज में झारखंड में भी करोड़ों के वारे न्यारे हुए हैं।

रांची के रहने वाले विकास सिंह की शिकायत पर छत्तीसगढ़ में FIR दर्ज की गई है। शिकायत के मुताबिक झारखंड में नई शराब नीति लागू होने के बाद साल 2022-23 में झारखंड के आबकारी राजस्व लक्ष्य में करोड़ों रुपयों की कमी आई।

विकास सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज

छत्तीसगढ़ में दर्ज इस FIR में झारखंड के CM हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है।छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने झारखंड में भी अवैध शराब कारोबार के इरादे से जनवरी 2022 में झारखंड के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। यह मीटिंग रायपुर में की गई जिसमें पूरी प्लानिंग बनी।

FIR में शिकायतकर्ता विकास सिंह ने बताया कि झारखंड में नई शराब नीति लागू होने के बाद साल 2022-23 में झारखंड के आबकारी राजस्व लक्ष्य में करोड़ों रुपयों की कमी आई। शिकायतकर्ता ने इसकी जांच किए जाने की मांग की। झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे, आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह और उनके साथी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार कर राज्य को नुकसान पहुंचाने पर कार्रवाई की मांग की गई।

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झारखंड में शराब घोटाले की ऐसे हुई प्लानिंग

झारखंड में योजना को लागू कराने के लिए प्लानिंग के तहत छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी और झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह ने अपने सीनियर लोगों को विश्वास में लिया। इसके बाद झारखंड राज्य में नई आबकारी नीति लागू करने की तैयारी की।

घोटाले की प्लानिंग के तहत ही झारखंड विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित कराया गया। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड के एम.डी. अरूणपति त्रिपाठी को कंसल्टेंट के रूप में रखा गया।

झारखंड में शराब बेचने की नीति ही बदल डाली

FIR में कहा गया है कि प्लानिंग के मुताबिक अरूणपति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू नीति का मॉडल तैयार कर झारखंड शासन को दिया। इसके आधार पर झारखंड में नई आबकारी नियमावली, झारखंड उत्पाद (झारखंड राज्य बेवरेजेस कार्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से खुदरा उत्पाद दुकानों का संचालन) नियमावली 2022 को लागू किया गया।

इसके लिए अरूणपति त्रिपाठी ने झारखंड सरकार से 1.25 करोड़ फीस के तौर पर भी लिए। प्रारंभिक तौर पर IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह के खिलाफ छत्तीसगढ़ में रायपुर EOW ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में नया केस दर्ज किया है।

छत्तीसगढ़ ने घोटालेबाजों ने झारखंड के अफसरों संग की प्लानिंग

छत्तीसगढ़ के लीकर सिंडिकेट से जुड़े सभी लोगों के नाम भी इस FIR में है। FIR में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी।इन सभी ने मिलकर साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति को बदलवा दिया।

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इसके बाद झारखंड में देशी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवा दिया। FIR के मुताबिक झारखंड में बिना हिसाब की डूप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। साथ ही विदेशी शराब की सप्लाई का काम एफ.एल.10 ए लाइसेंस के रूप में नियम बनाकर अपने करीबी एजेंसियों को दिलाया। उन कंपनियों से करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया। इससे करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई की गई।

शराब सप्लाई और मैन पावर में भी हुआ खेला

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पहले से विदेशी शराब की सप्लाई कर ओम साईं बेवरेजस, दिशिता वेंचर्स और नेक्सजेन कॉर्पोरेशन के जरिए हो रहा था। सिंडिकेट ने एफ.एल. 10 ए लाईसेंस के तर्ज पर झारखंड में 1 ए लाईसेंस शुरू कराया।इसके तहत देशी-विदेशी दोनों की ही सप्लाई का काम टेंडर की शर्तों को फेरबदल करते हुए ओम साईं बेवरेजस और दिशिता वेंचर्स को मिला।

उसी तरह से छत्तीसगढ़ में मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी सुमित फैसिलिटी, इगल हंटर सालुसंस, ए-टू-जेड इंफ्रा सर्विसेस को टेंडर की शर्ते को उनके अनुसार बनाकर झारखंड में काम दिया गया। इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों की ओर से सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैन पावर सप्लाई का काम दिया गया।

रांची में खोला गया था आफिस

रांची में ऑफिस खोलकर सभी कंपनियों की ओर से अकेले मैन पावर सप्लाई का काम सिद्धार्थ सिंघानिया ने किया। सिद्धार्थ सिंघानिया ने झारखंड के मदिरा दुकानों में तय मात्रा में कर्मचारियों की सप्लाई न कर लोकल ठेकेदारों के अंदर काम करने वाले पुराने लोगों को ही काम पर लगाया। इसके एवज में अवैध राशि वसूल की गई।

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