चंपाई सोरेन ने लिखी दूसरी चिट्ठी, बहन-बेटियों की अस्मत खतरे मे....भाजपा में शामिल होने की बतायी वजह..

रांची। चंपाई सोरने ने झामुमो से बगावत के बाद दूसरी चिट्ठी लिखी है। ये दोनों चिट्ठी चंपाई सोरेन ने दिल्ली दौरे के दौरान ही लिखी है। पहली चिट्ठी में चंपाई सोरेन ने जहां अपने दर्द को बयां किया था, तो वहीं दूसरी चिट्ठी में चंपाई ने भाजपा में शामिल होने की वजह बतायी है।झारखंड के पूर्व सीएम और झामुमो के सीनियर लीडर चंपाई सोरेन 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होंगे।


दिल्ली में आज मीडिया से बात करते हुए उन्होंने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि 'पहले मैंने सोचा था कि मैं संन्यास ले लूंगा। फिर मैंने सोचा कि नया संगठन बनाऊंगा, लेकिन इसके लिए समय अभी कम है। बहुत मंथन करने के बाद मेरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर विश्वास बढ़ गया है और भाजपा में शामिल होने का हमने निर्णय ले लिया है। भाजपा में मेरे साथ मेरा बेटा बाबूलाल सोरेन भी शामिल होगा।'


जोहार साथियों,

पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया। पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।

आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।

आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा। इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है। झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।

आपका, चम्पाई सोरेन




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