भाजपा के लिए अब राज्यसभा में यह कदम उठाना जरूरी, कम हो गई है पार्टी की ताकत, क्या अब बिल पास करा पाएगी भाजपा

नई दिल्ली। राज्यसभा में भाजपा को झटका लगा है। राज्यसभा में सत्तारूढ़ भाजपा की ताकत अब कम हो गई है। शनिवार को भाजपा के चार मनोनीत सदस्य सेवानिवृत्त हो गए, जिससे पार्टी के सदस्यों की संख्या घटकर 86 रह गई। वहीं, विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 101 बनी हुई है।

सहयोगी दलों के भरोसे पार्टी

वर्तमान में, राज्यसभा में कुल 226 सीटों की क्षमता है, जिसमें 19 सीटें खाली हैं। हालांकि, आगामी बजट सत्र के दौरान, एनडीए सात मनोनीत सदस्यों, दो निर्दलीय और एआईएडीएमके और वाईएसआरसीपी जैसे मित्र दलों के समर्थन से सदन में महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर सकता है।

ये कदम उठाना भाजपा के लिए जरूरी

बता दें कि, कुल 19 सीटें खाली हैं, जिनमें से 4 सीटें जम्मू-कश्मीर की हैं और वहां विधानसभा चुनाव के बाद राज्यसभा चुनाव होंगे। चार सीटें मनोनीत सदस्यों के लिए खाली हैं। वहीं महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, हरियाणा और असम समेत 11 सीटों पर चुनाव होने हैं। इस बीच भाजपा के लिए यह जरूरी है कि वह मनोनीत श्रेणी के तहत खाली सीटों को जल्द से जल्द भरे। एनडीए के सहयोगी दलों पर निर्भरता कम करने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा।

ये सांसद हुए सेवानिवृत्त

चार मनोनीत सदस्य नियुक्त होने के बाद राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी राज्यसभा में मनोनीत होने के बाद आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए।

मनोनीत श्रेणी में गुलाम अली एक और सदस्य हैं जो भाजपा का समर्थन करते दिखते हैं। वे सितंबर 2028 में सेवानिवृत्त होंगे। राष्ट्रपति की सिफारिश पर 12 सदस्यों को राज्यसभा में मनोनीत किया जाता है। वर्तमान सदन में उनमें से सात ने खुद को स्वतंत्र घोषित किया है, लेकिन उन्होंने किसी भी कानून या प्रस्ताव को पारित करने में सत्तारूढ़ दल का समर्थन किया है।

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