PM Modi Mann Ki Baat : जल संरक्षण, जल सहेली… ‘मन की बात’ में क्या-क्या बोले पीएम मोदी?

PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 114वें एपिसोड को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात की. उन्होंने झांसी की ‘जल सहेलियों’ की चर्चा की, जिन्होंने घुरारी नदी को नया जीवन दिया है. ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं और जल सहेली बनकर उन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया है.

पीएम मोदी ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार. आज का यह एपिसोड मुझे भावुक कर देने वाला है. यह मुझे बहुत सारी पुरानी यादों से भर रहा है… इसका कारण यह है कि मन की बात में हमारी इस यात्रा के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब मैं मन की बात से जुड़ी हर घटना, हर पत्र को याद करता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं जनता जनार्दन के दर्शन कर रहा हूं, वो लोग जो मेरे लिए सर्वशक्तिमान की तरह हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों से देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश हो रही है. बारिश का यह मौसम हमें याद दिलाता है कि ‘जल संरक्षण’ कितना महत्वपूर्ण है. झांसी में कुछ महिलाओं ने घुरारी नदी को नया जीवन दिया है. ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं और जल सहेली बनकर उन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया है.

पीएम बोले- जिन मुद्दों को उठाया, उसे लेकर कई मीडिया हाउस ने मुहिम चलाई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ के द्वारा हमने जिन मुद्दों को उठाया, उन्हें लेकर कई मीडिया हाउस ने मुहिम भी चलाई. मैं प्रिंट मीडिया को भी धन्यवाद देता हूं, उन्होंने इसे घर-घर तक पहुंचाया. मैं उन यूट्यूबर्स को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होनें ‘मन की बात’ पर अनेक कार्यक्रम किए.

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उन्होंने कहा कि मुझे मध्य प्रदेश के दो बड़े ही प्रेरणादायी प्रयासों की जानकारी मिली है. यहां डिंडौरी के रयपुरा गांव में एक बड़े तालाब के निर्माण से भूजल स्तर काफी बढ़ गया है. इसका फायदा गांव की महिलाओं को मिला. यहां शारदा आजीविका स्वंय सहायता समूह इससे जुड़ी महिलाओं को मछली पालन का नया व्यवसाय भी मिल गया.

मध्य प्रदेश के छतरपुर में भी महिलाओं का प्रयास सराहनीय है. यहां के खोंप गांव का बड़ा तालाब जब सूखने लगा, तो महिलाओं ने इसे फिर से जिंदा करने का बीड़ा उठाया. हरी बगिया स्वयं सहायता समूह की इन महिलाओं ने तालाब से बड़ी मात्रा में गाद निकाली, तालाब से जो गाद निकली, उसका उपयोग उन्होंने बंजर जमीन पर फ्रूट फॉरेस्ट तैयार करने के लिए किया.

उत्तरकाशी के झाला गांव का भी पीएम मोदी ने किया जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गांव है ‘झाला’… यहां के युवाओं ने अपने गांव को स्वच्छ रखने के लिए एक खास पहल शुरू की है. वे अपने गांव में ‘धन्यवाद प्रकृति’ या कहें ‘Thank you Nature’ अभियान चला रहे हैं. इसके तहत गांव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है. गांव की गलियों में बिखरे हुए कूड़े को समेटकर गांव के बाहर, तय जगह पर डाला जाता है.

उन्होंने कहा कि स्वच्छता को लेकर पुडुचेरी के समुद्र तट पर भी जबरदस्त मुहिम चलाई जा रही है. यहां रम्या जी नाम की महिला, माहे municipality और इसके आसपास के क्षेत्र के युवाओं की एक टीम का नेतृत्व कर रही है. इस टीम के लोग अपने प्रयासों से माहे Area और खासकर वहां के Beaches को पूरी तरह साफ-सुथरा बना रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के 10 साल पूरे हो रहे हैं. यह अवसर उन लोगों के अभिनंदन का है जिन्होंने इसे भारतीय इतिहास का इतना बड़ा जन आंदोलन बना दिया. ये महात्मा गांधी जी को भी सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवनपर्यंत, इस उद्देश्य के लिए समर्पित रहे.

74 साल के सुब्रह्मण्यन का भी पीएम मोदी ने किया जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे केरला में कोझिकोड में एक शानदार प्रयास के बारे में पता चला. यहां 74 वर्ष के सुब्रह्मण्यन जी 23 हजार से अधिक कुर्सियों की मरम्मत करके दोबारा काम लायक बना चुके हैं. लोग तो उन्हें ‘Reduce, Reuse, और Recycle, यानी RRR Champion भी कहते हैं.

स्वच्छता को लेकर जारी अभियान से हमें ज्यादा-से- ज्यादा लोगों को जोड़ना है और यह एक अभियान, किसी एक दिन का, एक साल का, नहीं होता है, यह युगों-युगों तक निरंतर करने वाला काम है. यह जब तक हमारा स्वभाव बन जाए ‘स्वच्छता’ तब तक करने का काम है.

अमेरिका ने जो कलाकृतियां लौटाईं, उसका भी किया जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अमेरिका की मेरी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने भारत को करीब 300 प्राचीन कलाकृतियों को वापस लौटाया है. अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने पूरा अपनापन दिखाते हुए Delaware के अपने निजी आवास में इनमें से कुछ कलाकृतियों को मुझे दिखाया. लौटाई गई कलाकृतियां Terracotta, Stone, हाथी के दांत, लकड़ी, तांबा और कांसे जैसी चीजों से बनी हुई हैं. इनमें से कई तो चार हजार साल पुरानी है.

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