लेटरल एंट्री पर सियासी जंग : रेल मंत्री का राहुल पर पलटवार, UPA की सिफारिश का किया खुलासा

नई दिल्ली। कांग्रेस,समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 रिक्त पदों पर 'लेटरल एंट्री' के माध्यम से सीधी भर्ती किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। राहुल गांधी ने सरकार पर आईएएस का निजीकरण करने और आरक्षण नीतियों को खत्म करने का आरोप लगाया है।

बता दें कि, लेटरल एंट्री को लेकर राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर किया है। रेल मंत्री ने कहा कि लेटरल एंट्री के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी का पाखंड साफ तौर पर जाहिर है। लेटरल एंट्री की अवधारणा यूपीए सरकार ने ही शुरू की थी।

रेल मंत्री ने पोस्ट में कहा - “लेटरल एंट्री को लेकर कांग्रेस का पाखंड स्पष्ट है”

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक पोस्ट में कहा, "लेटरल एंट्री को लेकर कांग्रेस का पाखंड स्पष्ट है। यह यूपीए सरकार थी जिसने लेटरल एंट्री की अवधारणा पेश की थी। यूपीए सरकार के तहत 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) स्थापित किया गया था, जिसने उस अवधि के दौरान 'लेटरल एंट्री' के माध्यम से विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी।"रेल मंत्री ने आगे कहा, “एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी दृष्टिकोण स्थापित किया है। यूपीएससी के माध्यम से भर्ती पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। इस सुधार से प्रशासन में सुधार होगा।”

सपा-बसपा ने क्या कहा?

मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा है कि, इन पदों को वर्तमान में निचले स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों को पदोन्नत करके भरा जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन पदों को भरने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोटा प्रणाली लागू की जानी चाहिए। अगर केंद्र सरकार इसे लागू करने में विफल रहती है, तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा।

इस मामले में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने विचारधारा से जुड़े लोगों को यूपीएससी में उच्च पदों पर बिठाने के लिए षडयंत्र कर रही है। इस पूरी चाल का उद्देश्य पीडीए को उसके आरक्षण और अधिकारों से वंचित करना है।

लेटरल एंट्री क्या है?

लेटरल एंट्री से तात्पर्य निजी क्षेत्र से विशेषज्ञों की सीधी भर्ती से है। इस प्रक्रिया का उपयोग केंद्र सरकार के मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की नियुक्ति के लिए किया जाता है।

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