NCERT की किताब में हुआ बड़ा बदलाव, 12वीं की नई बुक से हटाया बाबरी मस्जिद का जिक्र, कारसेवा और विध्वंस की डिटेल्स भी गायब

NCERT Book News : NCERT की किताब से बाबरी मस्जिद, भगवान राम, श्री राम, रथ यात्रा, कारसेवा और विध्वंस के बाद की हिंसा की जानकारी हटा ली गई है। 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में कई बड़े बदलाव करते हुए बाबरी मस्जिद की जानकारी हटाने और 'अयोध्या विवाद' को 'अयोध्या मुद्दा' लिखने की बात सामने आई है। बाबरी मस्जिद नाम के बजाय किताब से इसे केवल "तीन-गुंबद संरचना" के रूप में पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, अयोध्या पर अध्याय को चार पेजों से घटाकर दो पेज कर दिया गया है।

वहीं, बुक में बाबरी मस्जिद नाम के बजाय इसे तीन गुंबद वाला ढांचा और अयोध्या विवाद को अयोध्या विषय के नाम से पढ़ाया जाएगा। 4 पेज के टॉपिक को भी दो पेज का कर दिया गया है।बाबरी मस्जिद विध्वंस या उसके बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा का संदर्भ क्यों हटा दिया गया? इस सवाल पर NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा- हमें स्कूल में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम पॉजिटिव नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि वॉयलेंट (हिंसक) और डिप्रेस्ड (अवसादग्रस्त) इंसान।

2014 के बाद से NCERT की टेक्स्ट बुक में संशोधन का यह चौथा दौर है। 2017 में पहले दौर में NCERT ने हाल की घटनाओं को दर्शाने के लिए संशोधन की जरूरत का हवाला दिया था। 2018 में सिलेबस के बोझ को कम करने के लिए संशोधन किए गए। 2021 में भी सिलेबस के बोझ को कम करने और छात्रों को कोविड के कारण पढ़ाई में दिक्कत से उबरने में मदद के लिए संशोधन किए गए।

बाबरी मस्जिद अब तीन गुंबदों वाला स्ट्रक्चर पढ़ा जाएगा

NCERT की पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में किया गया था। इसे मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाया था। नई बुक में इसे तीन-गुंबद वाला स्ट्रक्चर लिखा गया है।

इसमें बताया गया है कि तीन गुंबद वाली इमारत को 1528 में श्री राम के जन्मस्थान पर बनाया गया था। इसके भीतरी और बाहरी स्ट्रक्चर में हिंदू प्रतीक और अवशेष स्पष्ट रूप से नजर आ रहे थे।

लगभग 2 पेज कम करने के बाद नई बुक इस प्रकार शुरू होती है - “अयोध्या मुद्दा, दूसरे महत्वपूर्ण विकास के रूप में, विभिन्न हितधारकों के विभिन्न दृष्टिकोणों से संबंधित देश के सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में गहराई से निहित था. इसमें श्री राम के जन्म स्थान, सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक और इसके कानूनी स्वामित्व के बारे में विवाद शामिल थे. अयोध्या राम जन्मभूमि स्थल के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1528 से शुरू होने वाला 500 साल लंबा इतिहास कई संघर्षों से चिह्नित है, जिसका विवरण लखनऊ, बाराबंकी और फैजाबाद जिला गजेटियर में भी दर्ज है. श्री राम के जन्म स्थान पर 1528 में तीन गुंबद वाली संरचना का निर्माण किया गया था, लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों का स्पष्ट प्रदर्शन था. इसलिए अयोध्या राम जन्मभूमि मुद्दा अपनी प्राचीन सभ्यता में राष्ट्रीय गौरव से जुड़ गया. वर्षों से यह मुद्दा एक लंबी कानूनी लड़ाई में बदल गया, जिसके कारण अदालती कार्यवाही शुरू होने के कारण 1949 में ढांचे को सील कर दिया गया."

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