कोलकाता कांड: 50 मिनट की देरी से पहुंचे CBI के वकील, जज ने पूछा- क्या दे दूं संजय रॉय को जमानत?

आरजी कर अस्पताल में बलात्कार-हत्या के संदिग्ध संजय रॉय की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के लिए कोलकाता की एक अदालत को सीबीआई के एक वकील ने 50 मिनट तक इंतजार करवाया. परेशान मजिस्ट्रेट ने कहा कि क्या उन्हें याचिका स्वीकार कर लेनी चाहिए और संजय रॉय को जमानत दे देनी चाहिए? अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पामेला गुप्ता ने शाम 4.10 बजे सीबीआई अधिकारी से यह सुनने पर कि सरकारी वकील के आने में देरी हुई है, कहा-अगर वकील मौजूद नहीं है, तो उसे (रॉय को) जमानत दे दी जानी चाहिए.

जब कुछ मिनट बीत गए और वकील दीपक पोरिया अभी भी नहीं पहुंचे, तो मजिस्ट्रेट ने सीबीआई अधिकारी से उन्हें फोन करने के लिए कहा. उन्होंने कहा, अभी शाम के 4.20 बज रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मामले में खुद को सहायक जांच अधिकारी बताने वाली अधिकारी फोन करने के लिए कोर्ट रूम से बाहर चली गईं और करीब 15 मिनट बाद वापस लौटीं और कहा कि वकील आ रहे हैं. जब पोरिया शाम 5 बजे कोर्ट रूम में दाखिल हुए, तो बचाव पक्ष की वकील कविता सरकार ने सवाल उठाया कि सीबीआई का प्रतिनिधित्व 23 अगस्त की सुनवाई में शामिल हुए वकील क्यों नहीं कर रहे हैं.

बचाव पक्ष के वकील ने क्या कहा?

इसपर पोरिया ने जवाब दिया कि वे सीबीआई के पूर्णकालिक वकील हैं और उन्होंने बिना कोई कारण बताए कोर्ट को बताया कि एजेंसी रॉय की जमानत याचिका का विरोध करती है. मजिस्ट्रेट गुप्ता ने बलात्कार-हत्या के संदिग्ध, एफआईआर में नामित एकमात्र व्यक्ति को 20 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. बचाव पक्ष के वकील सरकार ने रॉय को जमानत देने के लिए इस आधार पर तर्क दिया था कि उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है या उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सीबीआई ने अभी भी उनके खिलाफ सबूतों का खुलासा नहीं किया है.

सीबीआई कर रही मामले की जांच

कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा जांच सौंपे जाने के बाद से सीबीआई ने अदालत में कहा कि रॉय, जो एक नागरिक यातायात पुलिस स्वयंसेवक हुआ करते थे, 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले में एकमात्र संदिग्ध हैं. टीओआई ने 23 अगस्त को बताया था कि रॉय की न्यायिक हिरासत की मांग करने वाली सियालदाह अदालत में सीबीआई के पहले रिमांड नोट में 'सामूहिक बलात्कार' का उल्लेख नहीं है, हालांकि पीड़िता के परिवार को संदेह है कि उस पर एक से अधिक लोगों ने हमला किया था.

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