सुप्रीम कोर्ट ने मांगा अटके हुए बिलों का जवाब, बंगाल-केरल के राज्यपालों के खिलाफ जारी किया नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज 26 जुलाई को केंद्र के सचिवों और बंगाल तथा केरल के राज्यपालों के विभिन्न विधेयकों को मंजूरी न देने के मामले में नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के सचिवों से दोनों राज्य सरकारों की अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब मांगा है, जिसमें विधेयकों को मंजूरी न देने और उन्हें राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है।

राष्ट्रपति मुर्मू के खिलाफ केरल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी मदद

इस साल मार्च में केरल विधानसभा द्वारा पारित चार विधेयकों पर सहमति को रोकने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ केरल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जुलाई में, पश्चिम बंगाल सरकार ने भी 2022 से आठ विधेयकों पर कार्रवाई न करने के लिए राज्य ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें दावा किया गया था कि यह संवैधानिक जनादेश के खिलाफ है और राज्य विधान सभा मंडल की कार्रवाई को निरर्थक बनाता है। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल का आचरण न केवल संविधान के मूल सिद्धांतों और नींव को खतरे में डालता है, बल्कि राज्य के लोगों के अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।

बता दें कि, चीफ जस्टिस दीपक चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने गृह मंत्रालय और दोनों राज्यपालों के सचिवों को नोटिस जारी किया है। केरल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा है कि वे विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। इसी तरह, पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और जयदीप गुप्ता ने कहा कि, हमारे द्वारा उल्लेख करने की सूचना देने के बाद, राज्यपाल के कार्यालय की तरफ से एक पत्र भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि 'हमने उनमें से कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर दिया था, लेकिन कोई आधिकारिक पत्राचार नहीं हुआ है।' वहीं, सिंघवी ने कहा, 'अब यह चलन बनता जा रहा है, तमिलनाडु मामले में मैंने याचिका दायर की है. जैसे ही मामला सूचीबद्ध होता है, दो विधेयकों को मंजूरी दे दी जाती है। अगली तारीख आती है और फिर राष्ट्रपति के पास कुछ भेजा जाता है।'

8 महीनों से ये बिल्स पेंडिंग

पश्चिम बंगाल ने राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि राज्यपाल राज्य सरकार द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं। सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि केरल सरकार ने भी राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ इसी तरह की याचिका दायर की है। केरल सरकार के वकील केके वेणुगोपाल, जो सरकार का पक्ष रखते हैं, ने कहा कि पिछले 8 महीनों से ये विधेयक लंबित हैं, और राज्य के राज्यपाल विधेयकों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं। यह संविधान के खिलाफ है।

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