हेमंत सरकार आतंकवाद को लेकर नहीं उठा रही ठोस कदम, बाबूलाल मरांडी ने उठाये सवाल, कहा, झामुमो नेता व प्रवक्ता दे रहे संवेदनहीन बयान
Hemant government is not taking concrete steps against terrorism, Babulal Marandi raised questions, said, JMM leaders and spokespersons are giving insensitive statements

रांची। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। केंद्र सरकार भी इस मामले को लेकर गंभीरता से कदम उठा रही है, जबकि झारखंड सरकार पर गंभीरता की कमी के आरोप लग रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड की इस मामले में निष्क्रियता पर सवाल खड़े किये हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर झामुमो गठबंधन सरकार से सवाल पूछा है। दरअसल हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पूरे देश में इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा है। देशभर में नागरिक, सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल इस आतंकवादी कृत्य की कड़ी निंदा कर रहे हैं और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया हैंडल X पर पोस्ट कर लिखा है कि केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारें इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस हमले के बाद त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने राज्यों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान कर उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करें और उन्हें देश से बाहर निकालें।
यह निर्देश आतंकवाद के नेटवर्क को तोड़ने और देश की आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत करने के उद्देश्य से दिया गया है। हालांकि, झारखंड में इस दिशा में अपेक्षित गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह आतंकवाद के विरुद्ध कठोर कदम उठाने में उदासीनता दिखा रही है।
बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कुछ मंत्री और प्रवक्ता न केवल गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं बल्कि इस संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
इस कठिन समय में जब देश एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है, झारखंड सरकार से अपेक्षा की जा रही थी कि वह भी ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ कार्य करेगी। राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए आतंकियों के खिलाफ ठोस और प्रभावी कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकी हमलों के खिलाफ लड़ाई में राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए, न कि इसे राजनीति का साधन बनाना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के बीच झारखंड में जिस तरह की सुस्ती देखने को मिल रही है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि राज्य की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकती है।