झारखंड : प्रदीप यादव का सवाल बना हेमंत सोरेन सरकार के लिए मुश्किल…शिक्षा पर उठाए गए सवाल ने बढ़ाई सरकार की परेशानी…जानें मामला

Pradeep Yadav's question became a problem for the Hemant Soren government... The question raised on education increased the government's troubles... Know the matter

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र जारी है. सदन में विभिन्न विभागों के अनुदान मांग पर कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव लगातार जनहित से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं.

सहारा इंडिया के निवेशकों को पैसा लौटाने और पीएचईडी विभाग में 21 करोड़ रुपये के गबन के आरोपियों पर एफआईआर करने और अडानी पावर प्लांट में कथित तौर पर नियमों की अनदेखी कर जमीन का अधिग्रहण करने और स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने का मुद्दा उठाने के बाद अब प्रदीप यादव ने सदन में झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में घंटी आधारित शिक्षकों के स्थायीकरण की मांग उठाई है.

प्रदीप यादव का कहना है कि ये शिक्षक क्वीलाइड हैं. नेट क्वालीफाई किया है. पीएचडी होल्डर हैं. पिछले 8-10 वर्षों से विभिन्न विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन में अपना सार्थक योगदान दे रहे हैं इसलिए उनको स्थायी किया जाना चाहिए. इससे, इन शिक्षकों को न केवल आर्थिक रूप से स्थायित्व मिलेगा बल्कि सरकार को भी इनके अनुभव का लाभ मिलेगा. मंगलवार को प्रदीप यादव ने यह मांग उठाई.

यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की भारी कमी का मुद्दा उठाया
सोमवार को पोड़ैयाहाट से कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि झारखंड के यूनिवर्सिटीज में शिक्षकों की भारी कमी है. सरकार ने अतीत में विश्वविद्यालयों में तात्कालिक जरूरत के हिसाब से 700 घंटी आधारित शिक्षकों की बहाली की थी. उस नियुक्ति प्रक्रिया में तमाम मानकों का पालन किया गया था. इनमें से अधिकांश शिक्षकों ने पिछले 8-10 वर्षों तक अपनी सेवा दी है. इन 700 शिक्षकों में 90 फीसदी लोग झारखंड के स्थानीय निवासी हैं. नेट क्वालीफाई किया है. पीएचडी होल्डर हैं. ये लोग जेपीएससी द्वारा पारिभाषित तमाम अहर्ताएं पूरी करते हैं. ऐसे में हमारी मांग है कि इन शिक्षकों को स्थायी किया जाये. प्रदीप यादव ने कहा कि हमने सुना है कि सरकार ने यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती की अधियाचना झारखंड लोक सेवा आयोग को भेजी है. मैं ये जानना चाहता हूं कि तमाम अहर्ताएं पूरी करने के बाद भी इन 700 शिक्षकों का स्थायीकरण क्यों नहीं किया जा रहा है.

सुदिव्य सोनू ने समायोजन में जताई असमर्थता
जवाब में मंत्री सुदिव्य सोनू ने कहा कि ये नीतिगत फैसला है. तब तात्कालिक जरूरतों के हिसाब से अनुबंधकर्मियों की नियुक्ति की गई थी. अन्य विभागों में भी वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अनुबंधकर्मियों की नियुक्तियां की गई. मंत्री सुदिव्य सोनू ने कहा कि, सरकार का मानना है कि स्थायी नियुक्तियों के लिए नागरिकों को स्वस्थ प्रतियोगिता का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए. यदि हमने उन 700 घंटी आधारित शिक्षकों को सीधी नियुक्ति दी यह स्वस्थ प्रतियोगिता के मानकों का उल्लंघन होगा. उन्होंने कहा कि हम प्रदीप यादव की चिंता से सहमत होते हुए नियुक्ति में इन घंटी आधारित शिक्षकों को उनके अनुभव के आधार पर वेटेज देने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों ने जो सेवा दी है, उसका सम्मान करते हुए मैं ये कहना चाहूंगा कि समायोजन, स्वस्थ प्रतियोगिता की परंपरा में घातक साबित होगा. साथ ही मंत्री सुदिव्य सोनू ने यह भी जानकारी दी है कि विभाग ने 2416 पदों पर स्थायी नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेज दी है.

जेपीएससी को भेजी गई अधियाचना में क्या है!
प्रदीप यादव ने कहा कि विभाग द्वारा जेपीएससी को भेजी गई अधियाचना में कहीं भी इन घंटी आधारित शिक्षकों को प्राथमिकता देने का जिक्र नहीं किया गया है. यदि ऐसा बाद में किया जाता है तो इस आधार पर विवाद होगा कि विज्ञापन जारी करते समय ऐसी व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में कोई अभ्यर्थी कोर्ट जा सकता है. प्रदीप यादव ने कहा कि जब ये शिक्षक सारी अहर्ताएं पूरी करते हैं तो समायोजन में समस्या कहां है? उन्होंने कहा कि मेरे पास 5 राज्यों के उदाहरण हैं जहां घंटी आधारित शिक्षकों का समायोजन किया गया है. प्रदीप यादव ने दावा किया कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मिजोरम में घंटी आधारित अनुबंधित शिक्षकों को स्थायी किया गया है.

शिक्षकों के स्थायीकरण के पक्ष में नहीं हेमंत सरकार
सुदिव्य सोनू ने प्रदीप यादव के सवाल के जवाब में कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर विधायक जी की चिंता से सहमत हूं लेकिन नीतिगत फैसलों में व्यक्तिगत राय या समझ मायने नहीं रखती. हम स्वस्थ प्रतियोगिता के पक्ष में हैं. अधियाचना में हम जेपीएससी को प्राथमिकता दिए जाने की शर्तों से अवगत कराएंगे. इन 700 शिक्षकों को उनके सेवाकाल, अनुभव और अहर्ता के आधार पर छूट दी जायेगी. सुदिव्य सोनू ने यह भी आश्वासन दिया कि इन शिक्षकों को उम्र संबंधी छूट भी दी जायेगी. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सीधी नियुक्ति करने से गुणवत्ता प्रभावित होती है. स्वस्थ प्रतियोगिता से गुणवत्तापूर्ण प्रतिभागी मिलते हैं.

प्रदीप यादव ने समायोजन की संभावना तलाशने को कहा
जवाब में प्रदीप यादव ने कहा कि इसका मतलब सरकार ने बगैर गुणवत्ता परखे ही इन 700 शिक्षकों की नियुक्ति कर ली थी. क्या मंत्री यह कहना चाहते हैं कि पिछले 10 वर्षों में विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिली. प्रदीप यादव ने कहा कि ये समस्या 75 फीसदी तक सुलझा हुआ है. सरकार यदि 25 फीसदी और आगे बढ़े तो मामला पूरा सुलझ जायेगा. प्रदीप यादव ने कहा कि इन शिक्षकों के समायोजन में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए. ये लोग सारी अहर्ताएं पूरी करते हैं.

झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भारी कमी
गौरतलब है कि झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी एक गंभीर समस्या है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग इस पर चिंता जाहिर कर चुका है. प्रदेश के 2 पूर्व राज्यपालों द्रौपदी मुर्मू और रमेश बैस ने तो यह तक कहा था कि बिना शिक्षकों के विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को क्या पढ़ाया जा रहा है. 12 जून 2023 को दैनिक हिंदी अखबार, हिन्दुस्तान में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 में झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रति 48 छात्रों पर एक शिक्षक थे लेकिन 2018-19 में 73 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक ही रह गये. अब अनुमान है कि झारखंड में प्रति 100 छात्रों पर केवल 1 शिक्षक हैं. हाल ही में हिंदी दैनिक, दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक रांची यूनिवर्सिटी के मातहत आने वाले 4 कॉलेजों में नामांकित 3000 से ज्यादा विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक मौजूद नहीं हैं.

उपरोक्त आंकड़ों और तथ्यों को देख कर समझा जा सकता है कि पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने अपनी ही सरकार से कितना जरूरी और गंभीर सवाल किया है. देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत सोरेन सरकार इस मुद्दे पर कितना सकारात्मक कदम उठाती है.

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