हेमंत सोरेन ने जीत के बाद कहा, बहुत ज्यादा प्रेशर था, ऐसा प्रेशर की बता नहीं सकता…मंईया सम्मान को माना ट्रंप कार्ड, कल्पना को लेकर बोले….

Hemant Soren said after the victory, there was a lot of pressure, I cannot tell about such pressure... Maiya considered respect as a trump card, spoke about imagination...

Hement Soren : इंडिया एलायंस की झारखंड में जीत बेहद खास है। इस चुनाव ने ना सिर्फ झारखंड को लेकर कई सारी धारणाएं बदली है, बल्कि अप्रत्याशित रूप से कई रिकार्ड भी बनाये हैं। पहली बार कोई पार्टी वापसी कर रही है। दूसरी बात ये इस बार का चुनाव जिस परिस्थिति में लड़ा गया, वो अपने आप में बेहद चुनौतीपूर्ण था। जीत के बाद खुद हेमंत सोरेन ने माना कि इस बार का चुनाव काफी मुश्किलों से भरा था।

 

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाला गठबंधन विधानसभा की 81 सीटों में से 56 पर आगे चल रहा है। हेमंत सोरेन ने इस जीत का श्रेय अपनी पत्नी कल्पना सोरेन और उनकी टीम को दिया।हेमंत सोरेन ने कहा, ‘हमने अपना होमवर्क कर लिया था और अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए थे। हम जानते थे कि यह बहुत कठिन मुकाबला होने वाला है। इसलिए हम अपनी टीम के साथ जमीन पर काम करने के लिए निकल पड़े थे। यह बेहतरीन टीम वर्क था और हमने वह मैसेज दिया जो हम देना चाहते थे।उन्होंने कहा, ‘आपने देखा कि लोकसभा चुनाव में हमने कैसा प्रदर्शन किया (जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन ने 14 में से पांच सीटें जीती थीं)।

 

अगर मैं जेल से बाहर होता तो हम और भी बेहतर प्रदर्शन करते. उस समय, मेरी पत्नी कल्पना सोरेन ‘वन-मैन आर्मी’ के रूप में काम कर रही थीं, इस बार हम दो थे। बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। इस पर बोलते हुए हेमंत सोरेन ने कहा, ‘मुख्य बात यह है कि सुनने वाले लोग कौन हैं और वे इससे क्या लेते हैं. मतदाता और नेता के बीच का रिश्ता एक शिक्षक और छात्र जैसा होना चाहिए। शिक्षक को विद्यार्थी की आवश्यकताओं को समझना चाहिए।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार की मईयां सम्मान योजना का फायदा गठबंधन को मिला। हेमंत सोरेन ने कहा कि मईयां योजना और महिलाओं का समर्थन मिलने को लेकर कहा कि, यह बात सही है कि झारखंड गरीब राज्यों में से एक है, जहां लोगों के लिए एक-एक रुपया बहुत ज्यादा मायने रखता है। मईंया सम्मान योजना यहां सफल साबित हुआ है और हमारा फोकस यहां के लोगों की सोशल सिक्योरिटी पर रहेगा। यही हमारी पहली प्राथमिकता है और उसी का रिजल्ट हमें देखने को मिला है।

 

हेमंत सोरेन ने कहा कि भाषण के दौरान पर्सनल प्रेशर में था हम पर बहुत ज्यादा दबाव था, इतना कि हम आपको बात नहीं सकते. हमलोगों की क्या हालत थी कि जब हम स्पीच देते थे तो लगता था कि हमारे गले के अंदर खून निकल रहा है. हम लोगों ने इतनी ज्यादा भाषण दिया है, बहुत दर्द था. ऐसा इलेक्शन मैंने पहले कभी नहीं देखा और हमको लगता है कि आगे भी कभी नहीं देखने को मिलेगा।

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