ये है आज का श्रवण कुमार : मां को बहंगी पर ले जा रहा है बाबाधाम, उधर एक पोता दादा-दादी को लेकर कांवड़ पर लेकर पहुंचा बाबा के दर्शन कराने
मुंगेर। …कौन कहता है कि सतयुग में ही सिर्फ श्रवण कुमार होते हैं? कलियुग में भी कई श्रवण कुमार है, जो अपने मां-पिता को बहंगी पर ले जाकर तीर्थाटन कराते है। देवघर में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हो गया है और इस बार भी बाबा भक्ति के बीच मां-पिता को भगवान मानकर पूजने का उदाहरण मिल रहा है। ऐसा ही नजारा मुंगेर जिला के कच्ची कांवड़िया पथ पर देखने को मिला, जहां कलयुग के श्रवण कुमार अपनी मां को तीर्थयात्रा पर ले जाते दिखे।
श्रवण कुमार की तरह मां को बाबा भोले का दर्शन कराने ले जा रहे बेटे का नाम रंजीत शाह है। श्रवण कुमार बने खगड़िया निवासी रंजीत ने बताया कि पिछले साल उनकी मां बीमार हो गई थी। वे उस समय बाबाधाम जा रहे थे तो उसी समय प्रण किया था की अगर उनकी मां ठीक हो गई तो वो इस साल मां द्रौपदी देवी को बहंगी पर ले कर बाबाधाम जाएंगे। इसी प्रण को पूरा करने के लिए वे अपने अन्य दो भाई और परिवार के साथ माता को कांवर नुमा बहंगी पर बिठा बाबाधाम की यात्रा पर निकले है। इस यात्रा में तीन भाईयों के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी सहयोग दे रहे हैं।
एक श्रवण कुमार ये भी, जो दादा-दादी को कांवड़ में लेकर पहुंचा
गाजियाबाद निवासी कांवड़िया राहुल अपने बुजुर्ग दादा-दादी को तीर्थ के दर्शन कराकर श्रवण कुमार की तरह लौट रहा है। लोग उसके प्रयास की सराहना कर रहे हैं। मंगलवार को गाजियाबाद के असालतपुर फरुखनगर निवासी राहुल सैनी अपने दादा-दादी को लेकर कांवड़ यात्रा करते दिखा। गाजियाबाद के असालतपुर फरुखनगर निवासी राहुल अपने दादा धन्नो सैनी (85) व दादी बलबीरी (80) को साथ लेकर हरिद्वार से कांवड़ लेने आया। राहुल ने बताया कि उसकी इच्छा थी कि वह दादा-दादी संग कांवड़ यात्रा करे। श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को यात्रा कराई थी लेकिन, उसकी दादा-दादी को यात्रा कराने की इच्छा थी। राहुल ने बताया कि वह दिन में 10 किमी. की यात्रा करता है। राहुल सैनी ने बताया कि 20 जून को हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ में अपने दादा धन्नू औ दादी बलबीरी को लेकर पैदल यात्रा शुरू की थी। 16 जुलाई को महाशिवरात्रि पर अपने गांव के शिव मंदिर में जलाभिषेक करेगा। बुजुर्ग दादा-दादी से उसे बेहद प्यार है। उन्हें तीर्थ घुमाने के लिए लेकर गया था। वह बेहद खुश है।