हाईकोर्ट : “उच्च पद का काम कराया है, तो उच्च पद का वेतन देना होगा”…..हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ने सिंगल बेंच के फैसले को बताया जायज
रांची। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस एसएन प्रसाद की डबल बेंच ने लिपिक का काम लेने पर वेतन भुगतान करने के एकल पीठ के आदेश मामले में सरकार की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने एकल पीठ के आदेश को जायज बताते हुए कहा कि इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने माना कि काम कराया है तो उसका भुगतान करना होगा। सरकार ने कहा कि एकल पीठ का आदेश सही नहीं है। नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है। लखन प्रसाद की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को बीके धीर बनाम पंजाब सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया।
दरअसल लखन प्रसाद यादव बगोदर के कोनार नहर प्रमंडल कार्यालय में चतुर्थ वर्ग के पद पर एक जनवरी 1993 में नियुक्ति हुई थी। वर्ष 2001 से उनसे लिपिक का कार्य लिया जाने लगा लेकिन उन्हें उक्त पद का वेतन नहीं दिया जा रहा है। 2018 में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रोन्नति करने और बकाया वेतन के भुगतान की मांग की।
वर्ष 2020 में एकल पीठ ने कहा कि प्रार्थी जितने दिनों तक लिपिक पद पर काम किया है, उसे उतने दिन के वेतन का भुगतान किया जाए, लेकिन इसके खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील दाखिल की।सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर किसी से नियुक्ति से उच्च पद पर काम लिया जाता है, तो उसे उक्त पद के वेतन का लाभ दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने उक्त आदेश के तहत सरकार की अपील को खारिज करते हुए प्रतिवादी को वेतन भुगतान का आदेश दिया है।