HPBL बड़ी खबर : …अब बिना आधार नंबर के ना सब्सीडी मिलेगी और ना सरकारी योजनाओं का लाभ….UIDAI ने जारी किया सर्कुलर
नई दिल्ली। अब बिना आधार कार्ड के ना तो आप सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे और ना ही सब्सिडी उठाने के हकदार होंगे। इस बारे में आधार नंबर जारी करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानि UIDAI ने पिछले हफ्ते हीं सभी केंद्रीय मंत्रालय और राज्य सरकारों को सर्कुलर जारी कर दिया है। यह सर्कुलर 11 अगस्त को उन लोगों के लिए आधार नियमों को कड़ा करने के लिए जारी किया गया है जिनके पास आधार संख्या नहीं है और जो सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी और लाभों का फायदा उठा रहे हैं।
11 अगस्त को जारी सर्कुलर के अनुसार, आधार अधिनियम की धारा 7 में एक मौजूदा प्रावधान है, जिसे आधार नंबर नहीं दिया गया है, ताकि वैकल्पिक और वैकल्पिक माध्यमों से लाभ, सब्सिडी और सेवाओं का लाभ उठाया जा सके.
परिपत्र में कहा गया है यदि आप सरकार द्वारा प्रमाण पत्र चाहते हैं जो सरकारी योजनाओं के तहत लाभ सब्सिडी और सेवाओं के वितरण के लिए लाभार्थियों की पात्रता चाहते हैं तो आपको नंबर निर्दिष्ट करना जरूरी होगा। यूआईडीएआई की 11 अगस्त को जारी अधिसूचना के मुताबिक 99 लोगों को आधार नंबर जारी किया जा चुका है। साफ संकेत है कि अगर आप केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं का लाभ लेना या सब्सिडी का लाभ लेना चाहते हैं तो आपके पास आधार नंबर होना जरूरी है।
सरकारी लाभ के लिए EID नंबर जरूरी
इसका मतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं, लाभों और सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आधार नामांकन पहचान (EID) संख्या / पर्ची की आवश्यकता होगी यदि किसी के पास अभी तक आधार संख्या नहीं है. सर्कुलर में कहा गया है कि आधार पहचान वाले 99 प्रतिशत वयस्कों के व्यापक कवरेज के कारण कई सेवाओं और लाभों को सीधे निवासियों को हस्तांतरित किया जा रहा है. सर्कुलर में कहा गया है, आधार ने कल्याणकारी सेवाएं प्राप्त करने में निवासी / नागरिक अनुभव की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है.
UIDAI ने 11 अगस्त को सर्कुलर जारी
UIDAI ने 11 अगस्त को एक और सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया है कि संस्थाएं वर्चुअल आइडेंटिफायर (VID) को वैकल्पिक बना सकती हैं. यूआईडीएआई ने सर्कुलर में कहा, कुछ सरकारी संस्थाओं को सामाजिक कल्याण योजनाओं के सुचारू कार्यान्वयन के लिए अपने संबंधित डेटाबेस में आधार संख्या की आवश्यकता हो सकती है. इसलिए, ऐसी सरकारी संस्थाओं को लाभार्थियों को आधार संख्या प्रदान करने और वीआईडी वैकल्पिक बनाने की आवश्यकता हो सकती है.