जेल से शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के फोन करने की बात आईजी और जेल अधीक्षक ने स्वीकारी, FIR पर उठे सवाल

रांची। बिरसा मुंडा जेल में बंद शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी द्वारा धमकी मामले में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के प्रभारी जेल अधीक्षक सह रांची के एडीएम नक्सल रामवृक्ष राम और जेल के आइजी उमाशंकर सिंह ने यह माना है कि जेल में बंद योगेंद्र तिवारी ने ही संपादक को लैंड लाइन से फोन किया था।

इसी मामले में मामले में जेल आइजी ने जेलर प्रमोद कुमार, मुख्य उच्च कक्षपाल अवधेश सिंह और कंप्यूटर ऑपरेटर पवन कुमार को पांच दिसंबर को निलंबित कर दिया. लेकिन योगेंद्र तिवारी के खिलाफ कोई और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की. जेल अधीक्षक ने 31 दिसंबर 2023 को खेलगांव थाना को प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया था.

FIR दर्ज कराने के मामले में उठे सवाल

मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि बिरसा मुंडा कारा के जेल अधीक्षक ने 31 अक्तूबर को योगेंद्र तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए खेलगांव थाना को आवेदन दिया था, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. वहीं योगेंद्र तिवारी के बंदी पत्र पर रांची पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर खेलगांव थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली.

इसमें अधीक्षक ने साफ तौर पर उल्लेख किया है कि योगेंद्र तिवारी ने जेल के लैंड लाइन से प्रभात खबर के प्रधान संपादक को फोन कर चेतावनी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया है. खुद योगेंद्र तिवारी ने भी जेल अधीक्षक की पूछताछ में प्रधान संपादक को फोन करने की बात स्वीकारी है. वहीं जेल आइजी द्वारा एआइजी तुषार रंजन के नेतृत्व में गठित दो सदस्यीय जांच कमेटी ने भी प्रधान संपादक को योगेंद्र तिवारी को धमकी देने संबंधी रिपोर्ट जेल आइजी को सौंपी थी. इस रिपोर्ट के आधार पर ही जेल आइजी ने जेलर सहित तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया. पूर्व में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंदियों द्वारा धमकी दिये जाने के मामले में बंदियों को दूसरे जेल में शिफ्ट करने के कई मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन योगेंद्र तिवारी के मामले में जेल प्रशासन की चुप्पी सवाल खड़े कर रहे हैं.

HPBL Desk
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