झारखंड में अब रेलवे टिकट से हुआ करोड़ों का घोटाला…जांच में जुटी पुलिस

झारखंड में घोटाले अब आम बात होते जा रहे हैं. झारखंड में हर कदम पर अलग-अलग तरह के घोटाले हो रहे हैं. राज्य का विकास क्यों नहीं हो पा रहा है, ये राज्य की जनता का सबसे बड़ा सवाल है. और राज्य में विकास की बाधा है राज्य में होने वाले लाखों करोड़ो रुपए के घोटाले.

झारखंड में जमीन घोटाला, मनरेगा घोटाला, नियुक्ति घोटाले की कई खबरें आए दिन सामने आती रही है औऱ ये सब घोटाले अब पुराने भी हो चुके हैं. राज्य में अब एक नया घोटाला सामने आया है जिसे सुनकर जानकर आपके भी पैरों तले जमीन खिसक जाएगी.

झारखंड में अब रेलवे के टिकट पर घोटाला किया जा रहा है वो भी हजारों ,लाखों का नहीं बल्कि लगभग 3 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला किया गया है. इन घोटाले के पीछे भी शातिरों की पूरी प्लानिंग है. बारीकी से योजनाबद्ध तरीके से इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है. जिसका पर्दाफाश अब पुलिस कर रही है.

क्या है पूरा माजरा ,कैसे झारखंड के रेलवे स्टेशनों में कटे टिकट के पैसे निजी अकाउंट में चले गए और कैसे पुलिस को इसका पता चला.बताएंगे पूरी कहानी .

क्या है पूरा मामला 

दरअसल झारखंड के गढ़वा जिला में 2 करोड़ से अधिक रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ है. रेलवे के टिकट बिक्री में हुए फर्जीवाड़े को लेकर गढ़वा जिला के सदर थाना, रमना थाना और नगर उंटारी थाना में मामला दर्ज कराया गया है.

घोटाले का आरोप स्टेशन से पैसा लाकर बैंक में जमा करने के लिए एसबीआई द्वारा अधिकृत एजेंसी राइटर सेफ गार्ड लिमिटेड के बाइकर्स पर है. उक्त कंपनी के दो कर्मचारी अजय कुमार गुप्ता और प्रेमचंद प्रजापति पर राशि के कथित घोटाले का आरोप है. फिलहाल दोनों कर्मी फरार हैं.

गढ़वा जिले के नगर उटारी रेलवे स्टेशन में ही केवल 2 करोड़ 16 लाख का घोटाला हुआ है. जबकि रमना रेलवे स्टेशन में एक लाख और गढ़वा जिला के ही टाउन रेलवे स्टेशन में 46 लाख रुपए का घोटाला हुआ है. इसको लेकर गढ़वा जिले के तीन अलग-अलग थानों में तीन मामले दर्ज हुए हैं.

दरअसल यह फर्जीवाड़ा बेहद ही सुनियोजित तरीके से किया जा रहा था. गढ़वा जिला के इन तीन रेलवे स्टेशन पर जो टिकटों की बिक्री होती थी, उस पैसे को बैंक तक पहुंचाने के लिए रेलवे निजी कर्मियों से भेजता था. विभिन्न स्टेशनों से टिकट बिक्री के पैसे को सीधे रेलवे के खाते में जमा किया जाता है. यह खाता रेलवे के हाजीपुर जोन का है. पैसे को जमा करने के लिए दो अलग-अलग एजेंसी हैं. गढ़वा इलाके में अलग एजेंसी है, वहीं पलामू के इलाके में अलग एजेंसी. एजेंसी स्टेशनों से कैश उठाती है और रेलवे के खाते में जमा करती है. कैश को जमा करने में जिन कर्मियों को तैनात किया जाता है उन्हें बाइकर्स कहा जाता है.

बाइकर्स कैश जमा करने के बाद बैंक के वाउचर को रेलवे को देते हैं और जानकारी अपने एजेंसी को जमा करते हैं. इस मामले में बाइकर्स ने विभिन्न स्टेशनों से कैश तो उठाया लेकिन उन्हें रेलवे के खाता में जमा नहीं किया है. बाइकर्स ने कैश संबंधी वाउचर को फर्जी रूप से तैयार किया और रेलवे के अधिकारियों को दिया.जिन निजी कर्मचारियों को रेलवे स्टेशन के पैसे रेलवे के खाते में जमा करने के लिए बैंक तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी वो आधे पैसे को रेलवे के खाते में और आधे पैसे को अपने निजी खाते में जमा करते थे.

स्टेशन प्रबंधक ने क्या कहा

थाने में दर्ज मामले में स्टेशन प्रबंधक ने बताया कि रेलवे और एसबीआई के बीच 31 अक्टूबर 2020 को स्टेशन से रेलवे स्टेशन की आय की राशि बैंक में जमा करने का एक करार हुआ था. उसके बाद करार के तहत बैंक द्वारा अधिकृत एजेंसी डब्ल्यूएसजी के बाइकर्स को स्टेशन से टिकट बिक्री का पैसा लेकर बैंक में रेलवे के खाते में जमा करना था. उसके बाद बैंक से प्राप्त रसीद को स्टेशन में जमा करना था. इसी प्रक्रिया के तहत एजेंसी के बाइकर्स अजय कुमार और प्रेमचंद्र ने वर्ष 2023 में नगर उंटारी रेलवे स्टेशन की टिकट बिक्री की राशि करीब 2 करोड़ 16 लाख 12 हजार 267 रुपये बैंक में जमा नहीं किया. इसके बदले बैंक में राशि जमा करने की फर्जी रसीद स्टेशन प्रबंधक को सौंपते रहे. यह क्रम एक साल तक चलता रहा.

रेलवे के हाजीपुर जोन के वाणिज्य कर विभाग को विभिन्न स्टेशनों से होने वाले आय आशंका हुई थी. इसके बाद रेलवे के तरफ से इंटरनल ऑडिट का कार्य शुरू हुआ. इसी ऑडिट में पकड़ा गया कि 2023 के बाद इस घोटाले की शुरुआत हुई. घोटाला का दायरा धीरे-धीरे बढ़कर करोड़ों में हो गया. रेलवे के वाणिज्य विभाग को इन स्टेशनों से राजस्व कम आने लगा. रेलवे अधिकारियों को शक हुआ कि जब टिकटों की बिक्री बराबर हो रही है तो पैसा कम क्यों आ रहा है. इसके बाद पूरे मामले को लेकर रेलवे ने गढ़वा जिला के तीन थाना जिसमें गढ़वा सदर थाना, रमना थाना और नगर उटारी थाने में मामला दर्ज कराया है.

गढ़वा एसपी ने क्या कहा

एफआईआर दर्ज होने के बाद गढ़वा पुलिस भी मामले की जांच कर रही है. गढ़वा एसपी दीपक कुमार पांडेय का कहना है कि जिले में तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं, तीनों मामलों में राशि अलग-अलग है. शिकायत मिली है कि रेलवे का एसबीआई से अनुबंध था, एसबीआई अपने बाइकर्स को रखता था. रेलवे टिकट का पैसा संबंधित बाइकर्स द्वारा बैंक में जमा किया जाता था. इसमें कुछ घोटाला सामने आया, रेलवे द्वारा जांच की गई. उनके द्वारा यह मामला दर्ज किया गया. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

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