जैन मुनियों ने पूरे देश को एक करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया : गृह मंत्री अमित शाह
-राजनांदगांव में आचार्य विद्यासागर महाराज के 'प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव' और श्री 1008 सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ
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राजनांदगांव /रायपुर: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुरुवार को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया और श्री 1008 सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में शामिल हुए।इस दौरान अमित शाह ने आचार्य विद्यासागर की स्मृति में 100 रुपये का स्मारक सिक्का, डाक विभाग का 5 रुपये का विशेष लिफाफा, 108 चरण चिन्हों व चित्र का लोकार्पण और प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ का शिलान्यास किया।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि जैन मुनियों ने पूरे देश को एक करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर से लेकर कर्नाटक के श्रवणबेलगोला तक, बिहार के राजगीर से लेकर गुजरात के गिरनार तक हर जगह पैदल घूम कर अपने कर्मों से अपने त्याग का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आचार्य जी ने हमें सिखाया कि हमारी पहचान हमारी संस्कृति में निहित है। आचार्य विद्यासागर महाराज एक युग पुरुष थे, जिन्होंने एक नए विचार और नए युग का प्रवर्तन किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आचार्य जी ने जीवन के अंतिम क्षण तक तपस्या का मार्ग नहीं छोड़ा। शाह ने कहा कि आचार्य जी ने न केवल जैन धर्म के अनुयायियों को बल्कि जैनेत्तर अनुयायियों को भी अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से मोक्ष का मार्ग बताने का काम किया।
अमित शाह ने कहा कि जी-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिख कर, मोदी जी ने विद्यासागर जी के विचारों को जमीन पर उतारने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य जी के विचार को जरा भी राजनीति किए बगैर जमीन पर उतारा और उनके संदेश का अनुकरण करने का काम किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत की संत परंपरा बहुत समृद्ध है। उन्होंने कहा कि देश को जब जिस भूमिका की ज़रूरत पड़ी, संत परंपरा ने उस भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि संतों ने ज्ञान का सृजन किया, देश को एकता के सूत्र में बाँधा और जब गुलामी का कालखंड था, तब संतों ने भक्ति के माध्यम से राष्ट्र चेतना की लौ जलाए रखी। उन्होंने कहा कि देश का शासन और देश जब आज़ादी के बाद पाश्चात्य विचारों से प्रभावित होकर चलने लगा, तब विद्यासागर जी महाराज एकमात्र आचार्य थे जिन्होंने भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति से खुद को जोड़े रखा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ‘मूकमाटी’ नामक हिन्दी महाकाव्य की रचना की, जिस पर अनेक लोगों ने शोध और निबंध लिखे हैं।मोदी जी और आचार्य जी के बीच बहुत ही आत्मीय संवाद रहा है। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर का संदेश, प्रवचन व लेखन जैन समुदाय के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए एक अनमोल धरोहर है।इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और मुनि समता सागर महाराज सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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