चंपाई से ना तो पद छूट रहा और ना पार्टी, कदम बढ़ाकर भी चंपाई सोरेन क्यों है बैचेन, ना वाफादारों का साथ मिल रहा, ना हो रहा मान मनौव्वल

Champai Soren News: चंपाई सोरेन ने नयी पार्टी बनाने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन ना तो पद उनसे छूट पा रहा है और ना ही पार्टी। झामुमो ने जिस तरह से चंपाई सोरेन के मुद्दे पर चुप्पी साधी है, उससे भी चंपाई सोरेन की चिंता बढ़ रही है।

दरअसल चंपाई सोरेन ने जिस तल्खी के साथ नयी पार्टी बनाने की घोषणा की थी, उससे उन्हें लगा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में खलबली मचेगी, उनके मान मनौव्वल का दौर शुरू हो जायेगा, लेकिन झामुमो ने चंपाई सोरेन के साथ एक लंबी लकीर खींच ली, जाहिर है, ये चंपाई सोरेन को उनकी हैसियत बताने के लिए तो काफी है ही, ये संदेश भी JMM देने की कोशिश कर रही है, कि पार्टी में उनके रहने और नहीं रहने से कोई असर नहीं होने वाले वाला है।

इधर चंपाई सोरेन ने जिस अंदाज में कदम बढ़ाया है, जाहिर है अब उनका कदम पीछे खींचना मुश्किल है। कुल मिलाकर समीकरण यही है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के पाले में वापस लौटने का सवाल ही नहीं उठता। चंपाई सोरेन के करीबी लोगों का कहना है कि JMM के दिग्गज नेता बागी बन गए हैं, लेकिन वह अपने नए गुट के लिए JMM को नहीं तोड़ेंगे।

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि जेएमएम के कुछ नेता चंपाई सोरेन के संपर्क में हैं और बागी विधायक चमरा लिंडा जैसे नेता नए गुट का हिस्सा बन सकते हैं।

चंपई सोरेन ने जब दिल्ली की राह पकड़ी थी तो उनके साथ कम से कम चार विधायकों के रहने की संभावना जताई गई थी। अब यह स्पष्ट हो गया है कि अभी कोई विधायक उनका साथ देने को आगे नहीं आ रहा है। इन विधायकों ने हेमंत सोरेन के साथ मुलाकात में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। हालांकि, राजनीति में कुछ भी असंभव है।

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फिलहाल, चंपई सोरेन अपने प्रभाव वाले इलाकों में लगातार जनसभाएं और बैठकें कर रहे हैं। उन्हें देखने-सुनने भारी भीड़ भी जुट रही है, जिससे चंपई सोरेन के रणनीतिकार भी उत्साहित हैं।

भाजपा ने चंपाई को लेकर दो तरह का प्लान तैयार किया था। पहला यह था कि वे अपने साथ कुछ विधायकों को लेकर आएं। जब यह कामयाब नहीं हुआ तो भाजपा ने प्लान बी पर काम शुरू किया। चंपाई को लौटने और नई पार्टी बनाने का भाजपा ने सुझाव दिया। पार्टी बना कर चंपाई विधानसभा की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे।

इससे जेएमएम के वोटों में बंटवारा हो जाएगा। इससे भाजपा को फायदा होगा। चंपाई भाजपा की स्क्रिप्ट पर ही अमल कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट की योजना भी भाजपा की ही थी, जिसमें उन्होंने अपने अपमान का हवाला देकर तीन विकल्प सुझाए थे। इनमें एक विकल्प के रूप में अलग पार्टी बनाना भी शामिल था।

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