….कभी मुख्यमंत्री को हराया था, अब उसी पार्टी से बनी उम्मीदवार, जामा को माना जाता है सोरेन परिवार की जीत की गारंटी, जानिये लुईस ही क्यों?
Jharkhand Vidhansabha Election: …वो कहते हैं ना राजनीति में कभी कोई किसी का स्थायी दुश्मन नहीं होता है…ना जाने कब दुश्मन दोस्त बन जाये और दोस्त दुश्मन..ये मालूम नहीं।
अब लुईस मरांडी को ही ले लीजिये, कभी हेमंत सोरेन को लुईस मरांडी ने हराया था, आज वो उन्ही की पार्टी से चुनाव लड़ रही है। झामुमो की पांचवीं लिस्ट में लुईस मरांडी को जामा से टिकट दिया गया है।
हाल ही में भाजपा से इस्तीफा देकर लुईस मरांडी झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुई थी। उन्हें अब झामुमो ने प्रत्याशी बनाया है। अगर लुईस मरांडी की बात करें तो 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन दुमका सीट पर लुईस मरांडी से हार गए थे.
तब उन्होंने दो सीटों से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। बरहेट सीट पर उन्हें जीत मिली थी। हालांकि 2019 में हेमंत सोरेन ने फिर एक दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर जीत दर्ज की।
हालांकि लुईस मरांडी एक बार हेमंत सोरेन से चुनाव हार भी चुकी है। 2009 में हेमंत सोरेन ने लुईस को 3000 से ज्यादा वोट से हराया था। लुईस मरांडी महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी है। वहीं वो महिला मोर्चा की भी अध्यक्ष रही है।
जानिये कौन है लुईस मरांडी
लुईस मरांडी 2014 में दुमका से भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। उन्होंने तब झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी हेमंत सोरेन को 5,262 मतों से हराया था। इसके बाद वह राज्य में रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार में पूरे पांच साल तक मंत्री भी रहीं।
वह भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव भी रह चुकी हैं। वह इस बार भी दुमका सीट पर भाजपा के टिकट की दावेदार थीं। लेकिन, उनकी जगह पूर्व सांसद सुनील सोरेन इस सीट से उम्मीदवार बनाए गए हैं। इससे नाराज होकर लुईस मरांडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ले ली।
जामा है सोरेन परिवार का गढ़
जामा (एसटी) विधानसभा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गढ़ माना जाता है. इसकी बड़ी वजह भी है। यहां से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन और उनके पुत्र दुर्गा सोरेन विधायक रह चुके हैं। पिछले 3 विधानसभा चुनावों से शिबू सोरेन की बड़ी पुत्रवधू सीता सोरेन यहां से विधायक चुनीं गईं.
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले सीता सोरेन ने जेएमएम छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया. बीजेपी के टिकट पर उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था।