झारखंड: आबादी से ज्यादा बन गये इन जिलों में आधार कार्ड, बाबूलाल मरांडी बोले, कुछ तो गड़बड़ है, SIT से करायें जांच

Jharkhand: Aadhaar cards have been made in these districts more than the population, Babulal Marandi said, something is wrong, get investigation done by SIT

Babulal Marandi: झारखंड चुनाव के पहले डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा खूब गरमाया था। भाजपा ने इसे संथालपरगना में बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। ये बात अलग है कि डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा झारखंड में भाजपा को पॉलटिकल माइलेज नहीं दिला पाया, बावजूद भाजपा इस मुद्दे को छोड़ने के मूड में नहीं है। बाबूलाल मरांडी पिछले कुछ दिनों से आबादी से अधिक आधार कार्ड बनने की जांच की मांग उठा रहे हैं।

 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मामले की SIT जांच की मांग की है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड के कई जिलों में आबादी से अधिक आधार कार्ड बनने की खबर बेहद चिंतनीय है। यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं झारखंड के बाहर से आए हुए लोग अवैध रूप से अपना आधार बनवा रहे हैं। मुख्यमंत्री उक्त विषय पर संज्ञान लें एवं एसआईटी गठित कर इसकी गहन जांच कराएं।

 

उन्होंने सवाल उठाया कि आबादी से अधिक अगर आधार कार्ड बना है, तो ये अपने आप में संदेह पैदा करता है कि आखिर लोग आये कहां से, कहीं बाहर से तो लोग आकर नहीं बसे हैं। कहीं और आधार कार्ड बनाकर दूसरे जगह तो नहीं आ जा रहे हैं। इन तमाम मुद्दों पर जांच की मांग की बाबूलाल मरांडी की है।

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पांच जिलों के आंकड़े चौकाने वाले 

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के आंकड़ों की मानें तो झारखंड के पांच जिलों में आबादी से अधिक आधार बनाने के मामले हैं। इनमें लोहरदगा सबसे अव्वल है। यहां कुल जनसंख्या का 108.81 प्रतिशत आधार कार्ड बना है। गढ़वा में 101.22 तो लातेहार में 102.77 प्रतिशत लोगों का आधार कार्ड बना है। आधार के ये आंकड़े बता रहे हैं कि इन जिलों की जनसांख्यिकी में कुछ न कुछ गड़बड़ी जरूर है।वहीं बंगाल की सीमा से सटे झारखंड के संताल परगना के साहिबगंज व पाकुड़ में अनुमानित जनसंख्या से अधिक लोगों के आधार कार्ड बन गए हैं।

 

क्यों उठ रहे हैं सवाल 

इससे पहले यहां वोटर लिस्ट की जांच में चौंकाने वाले मामले सामने आ चुके हैं। जांच के क्रम में मतदाताओं की संख्या में 150 प्रतिशत तक वृद्धि पाई गई थी।अचानक बढ़ी वोटरों की संख्या ने भी घुसपैठ के संकेत दिए थे। गलत तरीके से जन्म प्रमाणपत्र व मतदाता पहचान पत्र बनाने में मनमानी के क्रम में नियमों की जमकर अनदेखी की गई। कई जगह सूची में पिता से अधिक पुत्र की ही उम्र दर्ज थी।

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