झारखंड: जोबा मांझी, नलिन सोरेन, ढुल्लू महतो व मनीष जायसवाल विधायक के साथ-साथ लोकसभा सांसद भी बने, दोनों पद पर कब तक बने रह सकते हैं चारों, कब तक देना होगा इस्तीफा ?

Loksabha Electopn Result । झामुमो की जोबा मांझी (Joba Manjhi), नलिन सोरेन (Nalin Soren), भाजपा के (Dhullu Mahto), मनीष जायसवाल (Manish Jaiswal) विधायक के साथ-साथ अब सांसद भी बन गये हैं। जोबा मांझी ने भाजपा की गीता कोड़ा को सिंहभूम से हराकर सांसद का चुनाव जीता है, तो वहीं नलिन सोरेन ने सीता सोरेन को, ढुल्लू महतो ने अन्नपूर्णा देवी को और मनीष जायसवाल हजारीबाग से निर्वाचित हुए हैं। हालांकि, कानूनन ये सभी एक ही पद पर रह सकते हैं। मतलब अगर इन विधायकों को लोकसभा सांसद बनना चाहते हैं तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना होगा।

संविधान में एक व्यक्ति लोकसभा सांसद या राज्यसभा सांसद रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ सकता है। ठीक उसी तरह कोई विधायक रहते हुए भी लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है, लेकिन अगर वो जीत जाता है तो उसे एक पद से इस्तीफा देना होता है। कोई भी व्यक्ति एक समय में दो पदों पर बना नहीं रह सकता। यहां तक कि अगर कोई दो सीट से विधायक या सांसद भी बन जाता है तो उस स्थिति में भी एक सीट छोड़नी पड़ती है।

लोकसभा सदस्य तो विधानसभा की शपथ नहीं ले सकते
चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव आयोग विजयी उम्मीदवार को नोटिफेशन जारी करता है। वो बताते हैं कि परंपरा के अनुसार विधायक रहते हुए कोई सांसद पद की शपथ ग्रहण नहीं कर सकते। अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें स्पीकर को इसकी सूचना देनी होगी। अगर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है तो नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन बार उनकी सदस्यता अपने आप ही खत्म हो सकती है।

बताते हैं कि संविधान निर्माताओं ने कभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी, लेकिन इसके अलग-अलग पहलुओं पर अलग-अलग संवैधानिक प्रावधान हैं।

क्या हैं संवैधानिक प्रावधान?

  • संविधान के अनुच्छेद 101(2) के मुताबिक, अगर कोई लोकसभा का सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होता है. इसी तरह अगर किसी विधानसभा का सदस्य लोकसभा का सदस्य बन जाता है तो उसे भी 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है. ऐसा नहीं करने पर उसकी लोकसभा की सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती है।
  • इसी तरह अगर कोई लोकसभा का सदस्य राज्यसभा का सदस्य भी बन जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 10 दिन के भीतर एक सदन से इस्तीफा देना होता है. संविधान के अनुच्छेद 101(1) और रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट की धारा 68(1) में इसका प्रावधान है.
  • वहीं, अगर कोई व्यक्ति दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों ही जगह से जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सीट से इस्तीफा देना होता है. यही बात विधानसभा चुनाव में भी लागू होती है. दो सीट से जीतने पर कोई सीट 14 दिन के भीतर छोड़नी पड़ती है।

विधानसभा नहीं छोड़ी, सांसद से इस्तीफा दिया तो आगे क्या?
अगर जोबा मांझी और मनीष जायसवाल विधानसभा से इस्तीफा नहीं देते हैं और सांसद पद छोड़ते हैं तो उनकी सीट पर दोबारा चुनाव कराए जाएंगे। 1996 में रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसकी धारा 151A के मुताबिक खाली हुई सीट पर चुनाव आयोग को 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की कानूनी व्यवस्था तय की गई है। वो दोनों जिस भी सीट से इस्तीफा देंगे, उस सीट पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराने होंगे. अगर दोनों लोकसभा छोड़ते हैं तो लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे और विधानसभा छोड़ते हैं तो विधानसभा सीट पर उपचुनाव होंगे। हालांकि विधानसभा के लिए उपचुनाव की स्थिति बनती नहीं दिख रही है, क्योंकि झारखंड में छह महीने में ही विधानसभा चुनाव होना है।

HPBL Desk
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