जानिये आचार संहिता में किन कामों पर लग जाता है प्रतिबंध, उल्लंघन करने वालों पर क्या हो सकती है कार्रवाई, जानिये डिटेल

Jharkhand Vidhansabha : चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही झारखंड में आचार संहिता लागू हो गयी है। आज झारखंड की हर गतिविधियों पर चुनाव आयोग का कंट्रोल होगा।

आचार संहिता का अब कठोरता से पालन करना होगा। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के बनाए गए नियमों को आचार संहिता कहते हैं।

आचार संहिता चुनाव परिणाम के जारी होने के बाद या नयी सरकार के गठन होने तक जारी रहेगा। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि आचार संहिता के लागू होने पर आखिर किन-किन चीजों पर पाबंदी लग जाती है। तो, आईये आपकी जिज्ञासा हम शांत कर देते हैं।

भारतीय चुनाव आयोग आचार संहिता को राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार करता है। इसके लागू होने के दौरान, राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों पर कुछ पाबंदी लगाई जाती है, ताकि सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने में बराबर का मंच मिल सके।

चलिए समझते हैं कि आचार सहिंता किन-किन पर लागू होती है और इसके उल्लंघन पर चुनाव आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है।

चुनाव आचार संहिता किन पर लागू होती है?

चुनाव आचार संहिता के नियम सिर्फ राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों पर ही लागू नहीं होते हैं. ये केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से वित्तपोषित सभी संगठनों, समितियों, निगमों, आयोगों आदि पर भी लागू होती है।

इन संगठनों का अपनी उपलब्धियों का विशिष्ट रूप से विज्ञापन करना या नई सब्सिडी की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है.

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किन चीज़ों पर मनाही होती है?

आचार संहिता लागू होते ही सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फायदा पहुंचता हों.

• सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है.

• सरकारी वाहन किसी दल या प्रत्याशी के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

• सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं.

• प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती पर प्रतिबंध होगा.

• प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खजाने से पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन पर खर्च नहीं किया जा सकता.

• सत्ताधारी पार्टी ने अपनी उपल्बिधियों वाले जो होर्डिंग/विज्ञापन सरकारी खर्च से लगवाएं हैं, उन सभी को तुरंत हटा दिया जाएगा.

• किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होगा.

• कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है.

• संबंधित राज्य/केंद्रीय सरकार की आधिरकारिक वेबसाइटों से मंत्रियों/राजनेताओं/राजनीतिक दलों के सभी संदर्भों को निकाल दिया जाता है.

• कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए सत्ताधारी पार्टी को चुनाव आयोग से परामर्श करना होगा.

क्या हो सकती है चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन पर कार्रवाई?

चुनाव आचार संहिताके नियमों का पालन करना सभी राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है. आचार संहिता के उल्लंघन को आयोग द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा.

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चुनाव आयोग उल्लंघन करने वाले प्रत्याशी या राजनीतिक दल पर कार्रवाई कर सकता है. संबंधित अधिकारी, जिसके क्षेत्र में उल्लंघन हुआ, उस पर भी कार्रवाई की जा सकती है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से भी रोक सकता है. जरूरी होने पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है. उल्लंघन करने पर जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं.

उदाहरण के लिए किसी वाहन, जिसके लिए किसी उम्मीदवार के नाम पर चुनाव प्रचार हेतु अनुमति ली गई है, का दूसरे उम्मीदवार द्वारा प्रचार में इस्तेमाल होना आचार संहिता का उल्लंघन है. ऐसे मामलों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 171ज के तहत कार्रवाई की जाएगी.

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