Jharkhand News : नए साल में झारखंड वासियों को हेमंत सरकार देगी स्वास्थ्य योजनाओं की सौगात, इन्हें मिलेगा लाभ
Jharkhand / 1 जनवरी के साथ दुनिया भर में नए साल की शुरुआत हो चुकी है. झारखंड वासियों के लिए हेमंत सरकार नए साल में कई सौगात लेकर आने वाली है. अब हेमंत सोरेन सरकार नए साल में राज्यवासियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी बड़ी योजना धरातल पर लागू करने वाली है जिससे झारखंड के लोगों का इलाज आसान ,मुफ्त और सुविधाजनक हो सके.
झारखंड सरकार राज्यवासियों के लिए दो स्वास्थय योजनाएं लेकर आ रही है जिसमें एक राज्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो जनवरी महिने में ही लॉन्च होगी,और एक मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना. ये दो योजनाएं झारखंड वासियों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लेकर आएंगी.
बता दें राज्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से राज्य के विभिन्न विभागों, कार्यालयों एवं बोर्ड-निगमों में कार्यरत लगभग 10 लाख राज्य कर्मियों और पेंशनरों को पांच से दस लाख रुपये तक निशुल्क इलाज सूचीबद्ध अस्पतालों में हो सकेगा.
वहीं मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य योजना के तहत राज्य के गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवार जो आयुष्मान भारत योजना से वंचित हैं, उन्हें 15 लाख रुपये तक के मुफ़्त इलाज की सुविधा मिलेगी. एक तरह से यह स्वास्थ्य बीमा है, जिसके तहत हर साल 15 लाख रुपए तक का मुफ़्त इलाज लाभुक परिवार को मिलेगा.
अबुआ स्वास्थ्य योजना का लाभ लेने के इच्छुक लाभुकों के लिए कुछ नियम व शर्ते हैं. जैसे-
लाभुक झारखंड का मूल निवासी हो.
उसके पास गुलाबी, पीला, सफेद कोई सा भी राशन कार्ड होना चाहिए.
मोबाइल नंबर (आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए)
आवेदक के परिवार का कोई भी सदस्य आयकर दाता नहीं होना चाहिए.
आवेदक का सालाना आय साढ़े 4 लाख रुपए से कम होना चाहिए.
इन आहर्ताओं के साथ अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का लाभ लिया जा सकेगा.
झारखंड सरकार की इन दोनों महत्वाकांक्षी योजनाएं से राज्य की बड़ी आबादी स्वास्थ्य के क्षेत्र में कवर हो जाएगी.
इन दो बीमाओं के अलावा राज्य सरकार की नीति सदर अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑपरेशन की सुविधा बहाल करने की भी है.
रांची सदर अस्पताल ने इसमें बेहतर काम किया तो इसकी तर्ज पर पांच अन्य जिलों में भी सदर अस्पतालों या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
गिरिडीह के गांडेय, साहिबगंज के बरहेट, जामताड़ा सदर के अलावा दो अन्य जिलों का चयन होना है। राज्य में सबसे बड़ी समस्या चिकित्सकों की कमी की है, जिसे दूर करने के लिए रांची में रिम्स की तर्ज पर एक अन्य मेडिकल कालेज कांके के रिनपास परिसर में खोले जाने का निर्णय लिया गया है.
बोकारो, कोडरमा और चाईबासा में पहले से इसपर काम चल रहा है। वर्ष 2025 में कोडरमा मेडिकल कालेज का निर्माण पूरा हो सकता है.
केंद्र ने चालू वित्तीय वर्ष में ही खूंटी और गिरिडीह में मेडिकल कालेज खोलने की योजना की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस योजना पर भी नए वर्ष में तेजी से काम होने की उम्मीद है।
विभाग एक ऐसे पोर्टल के निर्माण पर काम कर रहा है, जिसके तहत न केवल सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र में क्रय-विक्रय की जानेवाली दवा पर आनलाइन निगरानी की जा सकेगी।
वर्तमान में निजी क्षेत्र में बिक्री की जानेवाली दवा की निगरानी तो दूर सरकारी क्षेत्र में आपूर्ति की जानेवाली दवा की भी निगरानी नहीं हो पाती। अब इसके लिए तंत्र विकसित होने से नकली दवा की बिक्री और आपूर्ति पर रोक लग सकेगी।
सरकार ने ऐसी नीति भी लागू की है, जिसके तहत अब सरकारी अस्पताल चिकित्सक नहीं होने का बहाना नहीं बना सकते। सिविल सर्जनों को आर्थिक शक्तियां दी गई हैं, जिससे वे निजी विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा ले सकते हैं। इसके लिए प्रतिवर्ष की राशि भी निर्धारित की गई है।
हेमंत सोरेन सरकार झारखंड वासियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को लेकर तोजी से कामों में लग गई है लेकिन अब देखना होगा ये योजनाएं जमीनी स्तर पर काम कर पाएंगी या ये योजनाएं धरातल पर लागू होने से पहले कागजों पर ही खत्म हो जाएगा.