हेमंत कैबिनेट के फैसले पर उठे सवाल, अधिवक्ताओं के पेंशन और स्टाइपेंट पर फंस सकता है पेंच, जानिये पूरा मामला
Hement Cabinet: हेमंत कैबिनेट के फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल शुक्रवार को बड़ा फैसला लेते हुए हेमंत सोरेन कैबिनेट ने अधिवक्ताओं को पेंशन, स्टाइपेंड और बीमा योजना का लाभ देने का फैसला लिया था। अब स्टेट बार काउंसिल ने उस फैसले पर सवाल खड़े किये हैं।
बार कॉउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि कैबिनेट के फैसले से सिर्फ उन्ही अधिवक्ताओं को लाभ मिलेगा जो ट्रस्टी कमिटी के सदस्य हैं, इनकी संख्या महज 15 हजार है। जबकि, प्रदेश में 35 हजार स्टेट बार कॉउंसिल से निबंधित अधिवक्ता हैं। ऐसे में शेष बचे अधिवक्ताओं का क्या होगा?
वहीं हेमंत सरकार के स्टाइपेंड के फैसले पर भी सवाल उठे हैं। राजेंद्र कृष्णा ने कहा है कि नए अधिवक्ता को तीन साल तक स्टाइपेंड देने का फैसला उचित है, लेकिन पांच हजार की स्टाइपेंड राशि में से सिर्फ पचास फीसदी ही देने पर उन्होंने सवाल खड़े किये हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्टेट बार के द्वारा नए अधिवक्ता को प्रति माह एक हजार रुपया दिया जाता है। उसमें भी आर्थिक कमी सामने आती रहती है। अगर पांच हजार स्टाइपेंड दिया जाएगा तो सरकार सिर्फ 2500 ही देगी, शेष ढाई हजार स्टेट बार को वहन करना पड़ेगा।
बार काउंसिंल ने मांग की है कि अगर अगर स्टाइपेंड देना है तो सरकार पूर्ण रूप से वहन करें। वहीं लाइसेंस सरेंडर करने वाले 65 साल से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास द्वारा पेंशन मद पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
65 साल से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को 14000 रुपये दिए जाने का निर्णय पर सवाल उठे हैं। काउंसिल ने मांग की है कि इस संदर्भ में पहले सरकार बातचीत करे और फिर बाद में इसे लागू करे।