झारखण्ड : बालू की कालाबाजारी रोकें सीएम हेमंत, किल्लत से ठप पड़ी है विकास परियोजनाएं- बाबूलाल मरांडी

बालू की कालाबाजारी रोककर विकास कार्यों को गति देनी चाहिए.बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह अपील की है. बाबूलाल मरांडी ने आशंका जताई है कि यदि संकट का समाधान नहीं किया गया तो राज्य में विकास के काम प्रभावित होंगे.

उन्होंने कहा कि बालू घाटों की सही ढंग से नीलामी नहीं होने के कारण इसकी कालाबाजारी हो रही है. राज्य में निर्माण कार्य ठप हो गये हैं.गौरतलब है कि हिंदी दैनिक, दैनिक भास्कर ने झारखंड में बालू की किल्लत को लेकर विस्तृत रिपोर्ट छापी है.

इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुये बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि 444 बालू घाटों में केवल 51 को ही स्वीकृति मिल सकी है.केवल 24 बालू घाटों से ही निकासी हो रही है. बालू की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गयी है. 12,000 रुपये प्रति ट्रॉली का इजाफा हुआ है.

बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से बढ़ी मुश्किल
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पलामू सहित झारखंड के करीब सभी जिलों में बालू 25 से 40 रुपये प्रति बोरी बिक रही है. इससे अपार्टमेंट निर्माण सहित पीएम आवास योजना और अन्य सरकारी निर्माण कार्य में मुश्किलें आ रही है.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार को बालू की कालाबाजारी पर अविलंबर रोक लगानी चाहिए.बालू माफिया के खिलाफ ठोस एवं सख्त कदम उठाना चाहिए.

बिहार से आ रहे बालू की क्वालिटी खराब है
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 10 दिन पहले 30 हजार रुपये प्रति हाइवा की दर से बालू मिल रहा था जो अब 50 हजार रुपये प्रति हाइवा के हिसाब से मिल रहा है.

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बताया जा रहा है कि बालू घाटों की नीलामी नहीं हो सकी क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंसेट टू ऑपरेट की अनुमति नहीं मिली है.रांची के किसी भी बालू घाट से बालू का उठाव नहीं हो पा रहा है. बालू एसोसिएशन का दावा है कि बालू नहीं मिलने से 5 लाख से ज्यादा कामगार बेरोजगार होगये हैं. झारखंड में बिहार से भी बालू मंगवाया जा रहा है.

रांची, खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, गढ़वा में रोज 100 ट्रक से ज्यादा बालू आ रहा है जिसकी कीमतें आसमान छू रहा है.हालांकि, बिहार से आ रहे बालू में मिट्टी की काफी मात्रा पाई जा रही है. उसकी क्वालिटी खराब है.

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