धक्का मार-मारकर भगायेंगे: भाजपा ने बताया बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने का प्लान, जानिये कैसे पकड़े जायेंगे घुसपैठिये

रांची। झारखंड में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा गरमाया गया है। एक तरफ हेमंत सोरेन ने डेमोग्राफी चेंज जैसे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, तो दूसरी तरफ भाजपा ने अभी से ही खाका तैयार रखा है कि वो सत्ता में आते ही बांग्लादेशी घुसपैठियों को किस तरह के चिन्हित करेगी।

भाजपा की तरफ से चुनावी बागडोर थामने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा ने बताया है कि आखिर संतालपरगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कैसे किया जायेगा।

हिमंता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने घुसपैठियों को चिन्हित करने का निर्देश पहले से बना रखा है। ये वैज्ञानिक पद्धति है, जिसके आधार पर पता चल जायेगा कि कौन भारत का निवासी है और कौन घुसपैठ कर भारत में प्रवेश किया है। हिमंता ने बताया कि वैसे लोग जो वोटर लिस्ट में जगह पा चुके हैं, उनके बारे में भी जांच की जायेगी, कि वो इससे पहले कहां थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड से घुसपैठियों को निकालने के लिए NRC आवश्यक है। जो अपनी नागरिकता का प्रमाण नहीं दे पाएंगे, उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत उनके देश वापस भेजा जाएगा। अचानक से वोटर लिस्ट में शामिल हुए लोगों की भी कुंडली NRC के माध्यम से निकाली जाएगी। हिमंता ने साफ कहा कि जो भारत में घुसपैठ कर पहुंचे हैं, उन्हें धक्का मार मारकर बांग्लादेश पहुंचाया जायेगा।

वहीं असम के बारे में उन्होंने कहा कि वहां एनआरसी का काम पूरा हो चुका है। 14 लाख लोगों को चिन्हित किया गया है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि फिर से एनआरसी करने की इजाजत दिया जाए तो यह आंकड़ा और भी बढ़ भी सकता है. उन्होंने झारखंड के परिपेक्ष में कहा कि जो यहां के आदिवासी और मूलवासी हैं, उनका एनआरसी चेक करने की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि वे लोग यहां रह रहे हैं।

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वैसे लोगों का चेक करने की आवश्यकता है जो दूसरे जगह से आकर यहां बसे हैं. अगर कोई दूसरे जिला से भी या राज्य से आकर झारखंड में बसा है तो इसके पहले वह कहा था इसकी जांच होनी चाहिए। इसे लेकर बहुत विवाद भी नहीं होना चाहिए. असम के मुख्यमंत्री ने मंईयां सम्मान योजना पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि 60 महीने से सरकार योजना शुरू नहीं की. जैसे ही चुनाव सर पर आया है तो वह मंईयां को सम्मान देने की बात कर रहे हैं।

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