झारखंड: मंत्री पद के लिए किसकी लगेगी लॉटरी ? दीपिका का लगेगा नंबर या इरफान का खुलेगा भाग्य? देखिये आलमगीर की हुई छुट्टी, तो कौन-कौन है रेस में

Who will win the lottery for ministerial post in Jharkhand? Will Deepika's number be counted or will Irrfan's luck prevail? See who is in the race if Alamgir resigns?

रांची। आलमगीर आलम की आज ना तो कल कैबिनेट से छुट्टी होनी ही है। या तो आलमगीर आलम खुद से इस्तीफा देंगे या कैबिनेट से बर्खास्त होंगे। बेशक अभी आलमगीर के राजनीतिक भविष्य पर पार्टी और सरकार दोनों ने सस्पेंस बनाया हुआ है, लेकिन अभी से ही कैबिनेट में आलमगीर आलम के विकल्प को लेकर सियासी गलियारों अटकलें शुरू हो गयी है। क्या दीपिका पांडेय मंत्री बनेगी, क्या इरफान अंसारी का सपना पूरा होगा या फिर अनुप सिंह, उमाशंकर अकेला, सोना राम सिंकू, भूषण बाड़ा, राजेश कच्छप और अंबा प्रसाद में से कोई एक बाजी मार ले जायेगा।

पार्टी की तरफ से जो खबर है, उसके मुताबिक आलमगीर आलम पर पार्टी फिलहाल इस्तीफा के लिए दवाब बनाना नहीं चाहती है। लिहाजा दावेदार खुलकर अपनी दावेदारी मंत्री पद के लिए नहीं कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव भी चल रहा है, कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव भी होना है...लिहाजा झारखंड का सियासी समीकरण कुछ ऐसा बना हुआ है जिसमें पार्टी भी अलर्ट मूड में है, तो वहीं दावेदार भी फूंक-फूंककर अपना दांव चल रहे हैं।

चंपाई कैबिनेट के गठन के वक्त भी कई विधायकों ने मंत्री पद के लिए दवाब बनाया था, लेकिन रांची के लेकर दिल्ली तक कैंप करने के बावजूद सभी की स्थिति “लौट कर बुद्धू घर को आये” जैसी ही थी। ऐसे में मंत्री पद के दावेदार भी ये सोच रहे हैं कि कहीं इस बार भी उनका तीर खाली चला गया, तो वो विधानसभा चुनाव में ना घर के बचेंगे ना घाट के।

कुल मिलाकर पार्टी में मंत्री पद की दावेदारी के लिए विधायक तैयार तो हैं, लेकिन हालात कुछ ऐसे हैं कि खुलकर कुछ कर नहीं पा रहे हैं। पहली बात तो ये है कि आलमगीर आलम भ्रष्टाचार के मामले में जेल में गये हैं। ऐसे में अगर कोई विधायक उनके हटने पर खुद मंत्री बनने की दावेदारी करता है तो झारखंड की राजनीति में उस विधायक की छवि मौकापरस्त विधायक की बन जायेगी।

दूसरी तरफ अगर पार्टी ने उस विधायक को मंत्री नहीं बनाया और उलटे एक्शन ले लिया, तो वो विधायक मंत्री पद से भी जायेगा ही, कहीं विधानसभा चुनाव में उसे टिकट के भी लाले नहीं पड़ जाये। कुल मिलाकर कांग्रेस के विधायकों की स्थिति ऐसी है कि वो चाह तो रहे हैं कुर्सी मिल जाये...लेकिन उनकी तमन्ना ये है कि कोई उन्हें हाथ पकड़कर कुर्सी पर बैठा दे, ताकि ये संदेश जाये, वो पार्टी के हुक्म से मंत्री बने हैं।

दीपिका का दावा मजबूत, प्रदीप का कमजोर

आलमगीर आलम के विकल्प के तौर पर दीपिका पांडेय का दावा सबसे ज्यादा मजबूत है। इसकी पहली वजह से लोकसभा में प्रत्याशी बनने के बाद भी टिकट कट जाना। दूसरी तरफ प्रदीप यादव अगर जीते तो वो लोकसभा चले जायेंगे, वैसे भी उनकी दावेदारी खत्म हो जायेगी, अगर हार गये, तो भी उनकी दावेदारी ना के बराबर ही रह जायेगी। पत्नी अनुपमा को लोकसभा प्रत्याशी बनाने के बाद अनूप सिंह भी मंत्री पद के रेस से बाहर हो गये हैं। लिहाजा ऐसे में अगर दीपिका का मौका नहीं मिला, तो पार्टी को इरफान अंसारी की दावेदारी मजबूत हो सकती है।

फिलहाल ये तमाम बातें अभी तो अटकलों में है। देखना अभी यही होगा कि आखिर आलमगीर आलम की मंत्री पद वाली कुर्सी जाती कब है। जाती है तो फिर उस कुर्सी पर पार्टी क्या फैसला लेती है। मंत्री पद के लिए पार्टी की तरफ से किस विधायक की लाटरी लगती है।

HPBL Desk
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