संताल परगना में क्यों घटी आदिवासियों की आबादी, हाईकोर्ट में केंद्र के जवाब से सच आया सामने, जानें क्या है वजह

रांची। चुनाव के पहले संताल परगना में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा राजनीति के गलियारे से निकलकर कोर्ट के कटघरे तक पहुंच गया है। हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई में केंद्र ने स्वीकार किया कि संथाल परगना में आदिवासी आबादी में 16 फीसदी की कमी आई है।

केंद्र ने बताया कि संथाल परगना में ट्राइबल आबादी 44 फीसदी से घटकर 28 फीसदी हो गई है। इसके बाद आज केंद्र सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

केंद्र ने इसके पीछे की दो वजह बताई है। पहला कारण पलायन और दूसरा धर्मांतरण बताया गया है। आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया जनरल तुषार मेहता उपस्थित हुए।

आपको बता दें कि एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के घुसने के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर 5 सितंबर को सुनवाई की थी। इस मामले में केंद्र से जवाब मांगा गया था।

कोर्ट को दिए अपने जवाब में केंद्र ने यह भी बताया है कि संथाल परगना के छह अलग-अलग जिलों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 फीसदी तक बढ़ी है। जवाब में बताया गया है कि सबसे अधिक आबादी पाकुड़ और साहेबगंज में बढ़ी है। वहीं केंद्र ने यह भी कहा कि इन इलाकों में ईसाईयों की संख्या 6000 गुना तक बढ़ी है।

पिछली सुनवाई में UIDAI से भी जवाब मांगा गया था। आज उनकी ओर से भी जवाब दाखिल किया गया। जिसमें बताया गया कि UIDAI आधार नंबर के गलत इस्तेमाल की शिनाख्त भी कर सकता है और इसके बचाव भी कर सकता है।

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वहीं UIDAI ने कोर्ट को यह भी बताया कि आधार यूनिक पहचान जरूर हो सकती है लेकिन यह नागरिकता का आधार नहीं हो सकता है। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा था कि संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की जनसंख्या कम होना गंभीर मामला है। इस मामले में केंद्र सरकार गंभीर है। इस संवेदनशील विषय पर केंद्र सरकार अपने सभी स्टेट होल्डर जैसे बीएसएफ-आईबी आदि से विचार-विमर्श कर एक कंप्रिहेंसिव जवाब दायर करेगी।

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