हाथ जोड़कर कहता हूं… प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की चुनावी सभा के पहले हेमंत सोरेन ने ये क्या मांग लिया… कहा, हम मांग…
रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे के पहले एक बार फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1.36 लाख करोड़ रुपये की मांग कर दी है। आपको बता दें कि अमित शाह जहां झारखंड के दौरे पर हैं, तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी कल चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए झारखंड आ रहे हैं। दौरे के पहले हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के बकाया राशि लौटाया जाये। सोशल मीडिया हैंडल पर हेमंत सोरेन ने कहा कि कल प्रधानमंत्री झारखंड आ रहे हैं। मैं पुनः उनसे करबद्ध प्रार्थना करता हूँ कि हम झारखंडियों का बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये हमे लौटा दें।
मुख्यमंत्री ने इस मामले में सभी सांसदों का भी आह्वान किया है। उन्होंने आगे कहा कि झारखंड एवं झारखंडियों के विकास के लिए यह राशि अत्यंत आवश्यक है। मैं भाजपा के साथियों, खास कर के सांसदों से भी अपील करूँगा कि वे हम झारखंडियों के इस बकाये को दिलाने में हमारी मदद करें। आपको बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है, जब हेमंत सोरेन ने बकाया राशि की मांग की है। कई बार सभाओं में भी वो इसका जिक्र करते हैं। वहीं पैसा लौटाने के लिए वो पत्र भी प्रधानमंत्री को लिख चुके हैं।
हेमंत सोरेन ने कई बार सभाओं में कहा है कि यही 1.36 लाख करोड़ की मांग की, तो उन्हें साजिश के तहत जेल भेजवा दिया। अब एक बार फिर से वो प्रधानमंत्री से 1.36 करोड़ की मांग कर रहे हैं। सोरेन ने इस बात पर जोर दिया कि कोल इंडिया जैसे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों का बकाया राज्य का “हक” है और दावा किया कि पैसे न मिलने से झारखंड के विकास के मार्ग में काफी परेशानी आ रही है.” सोरेन ने पत्र में लिखा, “मैं, झारखंड का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आपका ध्यान एक गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित कर रहा हूं जो राज्य के विकास के रास्ते में बाधाएं पैदा कर रहा है. कोयला कंपनियों पर हमारा बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये है।
उन्हों ने लिखा, “कानून में प्रावधानों और न्यायिक घोषणाओं के बावजूद, कोयला कंपनियां कोई भुगतान नहीं कर रही हैं… ये सवाल आपके कार्यालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग सहित विभिन्न मंचों पर उठाए गए हैं. लेकिन अब तक यह मुआवजा (रु. 1.36 लाख करोड़) का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की पीठ के हालिया फैसले ने राज्य के खनन और रॉयल्टी बकाया को इकट्ठा करने के अधिकार की पुष्टि की है. सोरेन ने बताया कि बकाया भुगतान नहीं होने के कारण झारखंड का विकास और आवश्यक सामाजिक-आर्थिक परियोजनाएं बाधित हो रही हैं। सोरेन ने लिखा, “झारखंड एक अविकसित राज्य है और यहां बहुत सारी सामाजिक आर्थिक विकास परियोजनाएं हैं, जो हमारी उचित मांगों का भुगतान न होने के कारण बाधित हो रही हैं।
पिछले महीने, उन्होंने डीवीसी को झारखंड राज्य बिजली बोर्ड के बकाया के लिए की गई व्यवस्था के समान, कोल इंडिया के खाते से राज्य को सीधे डेबिट का सुझाव दिया था. सोरेन ने कहा, “राज्य द्वारा उठाई गई उचित मांग के भुगतान में इस देरी ने मुझे आपको यह लिखने के लिए मजबूर किया है कि यह लापरवाही झारखंड और उसके लोगों को अपूरणीय क्षति पहुंचा रही है. शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल जैसी विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं और अंतिम मील कनेक्टिविटी धन की कमी के कारण जमीन पर लागू नहीं हो पा रही है।