...तो नौकरी से लेकर राजनीति तक में होगा आदिवासियों को नुकसान, बाबूलाल मरांडी ने बताया कि आदिवासियों की जनसंख्या घटी तो क्या....

जामताड़ा। संताल परगना में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है। भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। लिहाजा वो आये दिन किसी ना किसी मंच पर डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठाती ही है।


पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आदिवासियों की जनसंख्या घटने के साइड इफेक्ट को लेकर आदिवासी समाज को हिदायत दी है। बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आबादी में अनुपात घटने के कारण आदिवासी समाज को मिलने वाली राजनीतिक नेतृत्व और सरकारी नौकरी के अवसरों में कमी आएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने गुरुवार को जामताड़ा के यज्ञ मैदान में आयोजित संथाल परगना में आदिवासियों की घटती जनसंख्या और लुटती जमीन के विरोध में जनाक्रोश रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 1951 के जनगणना के अनुसार, झारखंड में आदिवासियों की आबादी 36% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 26% हो गई है।

वहीं मुसलमानों की आबादी 9% से बढ़कर लगभग 14.5% तक जा पहुंची है। इसी दरम्यान हिंदुओं की आबादी भी लगभग 7% घटकर, 88% से 81% पर पहुंच गई है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में आदिवासी, हिंदू की आबादी का घट रही है और उसी अनुपात में मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है। आबादी में अनुपात घटने के कारण आदिवासी समाज को मिलने वाली राजनीतिक नेतृत्व और सरकारी नौकरी के अवसरों में कमी आएगी।

झारखंड में डेमोग्राफी चेंज को लेकर मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। आरोप है कि संताल परगना में स्थिति इतनी खराब होने के पीछे की वजह बांग्लादेशी घुसपैठियां है, जिन्होंने मुस्लिम लड़कियों के साथ शादी की और उनकी जमीन के मालिक बन गये।


इस मामले में संताल परगना प्रमंडल के छह जिलों के उपायुक्तों की ओर से पूर्व में दाखिल किए गए जवाब में बांग्लादेशी घुसपैठ से इनकार किया गया था। इसपर कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि अगर घुसपैठ का एक भी मामला मिला तो संबंधित उपायुक्त पर अवमानना का केस चल सकता है। बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने दायर की है।

Aditya
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