आखिर कौन होता है ये सिस्टम? जिस पर हर बार फोड़ा जाता है ठिकरा, बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन पर जमकर साधा निशाना

रांची। बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन को लेकर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने झारखंड में “सिस्टम” को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा है कि आखिर कौन होता है ये सिस्टम? पिछले 5 सालों के अखबार उठाकर अगर आप देखेंगे तो नजर आएगा कि हजारों बेगुनाह आदिवासियों की जान इस सिस्टम ने ली।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि फिर चाहे वह अस्पतालों के लिए पहुंचने के लिए एंबुलेंस का ना होना हो, चाहे वह अस्पताल की जर्जर स्थिति हो, चाहे स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के ऊपर गिरती छत हो, चाहे स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में मरते बुजुर्ग आदिवासी हों। दूर सदूर गांव में बैठी आदिवासी गर्भवती महिलाएं जो बच्चा पैदा करने के दौरान इलाज के अभाव में अपनी जान गंवा रही हैं, ये सब जानें पिछले 5 सालों में सिस्टम ने ही ली है।

इन सारी खबरों में आप एक तरह की समानता हर बार पाएंगे तो वह यह है कि इन सारी खबरों को सिस्टम के नाम बता दिया जाता है, पर इसी सिस्टम को अगर आप ध्यान से देखेंगे तो समझ में आएगा कि इस सिस्टम के जितनी भी बुनियादी फायदे हैं, वह झारखंड में कुछ खास लोगों को ही मिल रहा है।

चाहे इसी सिस्टम की मदद से अवैध खनन का पैसा हो, चाहे इसी सिस्टम की हेर फेर से फर्जी कागज बनाकर जमीन अपने नाम करने का मामला हो, इसी सिस्टम के द्वारा अपने आप को और अपने परिवार को अवैध लाभ पहुंचाने की बात हो।

मरांडी इस सिस्टम ने पिछले 5 सालों में सिर्फ और सिर्फ झारखंड के एक खास परिवार को फायदा पहुंचाया है और राज्य की पूरी आबादी को, खास तौर पर आदिवासी आबादी को सिर्फ और सिर्फ नुकसान पहुंचाया है। दरअसल आप अगर गौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इस सिस्टम की आड़ में हेमंत सोरेन और उसके दलाल, गुर्गे और बिचौलिए राज्य के लोगों की जान ले रहे हैं।

चाहे सड़कों का न बनना हो, चाहे अस्पतालों का न होना हो, चाहे अस्पतालों और दवाइयों के अभाव में मरती आदिवासी महिलाओं का केस हो- इन सबकी जिम्मेदारी पिछले 5 सालों में हेमंत सोरेन की रही है, लेकिन जब भी जिम्मेदारी लेने की बात आती है तो हर बार हेमंत सोरेन सिस्टम का सहारा लेकर अपनी जिम्मेदारियों से भागते नजर आते हैं।

जिम्मेदारी लेने के नाम पर इन्होंने सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री बनने भर की शपथ ली, लेकिन मुख्यमंत्री पद के कर्तव्यों से इनका कोई लेना देना नहीं है। इसलिए जनता ने इस बार के चुनावों में हेमंत सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने की शपथ ले ली है।

Aditya
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