सावन में बाबा हो गये करोड़पति: कांवड़ियों ने 20 दिन में ही कर दिया बाबा को मालामाल, भारतीय नोट के अलावे विदेशी कैरेंसी का भी चढ़ावा....जानिये कितना..

देवघर।बाबा भोलेनाथ सावन के महीने में खूब अमीर हो गये हैं। भक्तों ने उन्हें करोड़पति बना दिया है। पिछले 20 दिन में बाबा मंदिर में 5 करोड़ से ज्यादा चढ़ावा आया है। कमाल की बात ये है कि बाबा को चढ़ावा ना सिर्फ भारतीय रुपयों का मिल रहा है, बल्कि विदेशी करेंसी भी बाबा को चढ़ाया जा रहा है। सावन के 20 दिन बाद देवघर जिला प्रशासन के द्वारा एक आंकड़ा जारी किया गया।

जानकारी दी गयी है कि सावन की शुरुआत से लेकर अभी तक बाबा मंदिर को विभिन्न स्रोतों से जैसे बाबा मंदिर दान पत्र, विकास पत्र, शीघ्र दर्शनम कूपन एवम अन्य स्रोतों के माध्यम से कुल 05 करोड़ 42 लाख 55 हजार 702 रुपए की आमदनी हुई है। इसमें भारतीय रुपए के साथ नेपाली और भूटानी रुपए भी हैं। 22 जुलाई से लेकर अब तक कुल 40 लाख 70 हजार 704 कांवरियों ने जलार्पण किया है।

सावन के महीने में देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए दूरदराज से कांवरिया पहुंच रहे हैं। बता दें कि कांवरिया सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर पैदल यात्रा कर देवघर के बाबा मंदिर में जलाभिषेक करते है। देवघर बाबा धाम में साल भर भीड़ लगी रहती है, लेकिन, श्रावनी मेले में ये भीड़ बढ़ जाती है।

श्रावण मास में ही क्यों होती है कांवर यात्रा

आइए, आज हम आपको बताते हैं कि श्रावण मास में ही कांवर यात्रा क्यों होती है. पुराणों में कहा गया है कि जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो उसमें से कई दिव्य चीजें निकलीं. दिव्य चीजों का बंटवारा देवताओं और दानवों में हो गया. हलाहल विष भी समुद्र मंथन के दौरान निकला था. इसे कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था.

भगवान भोलेनाथ ने कर लिया हलाहल विष का पान


भगवान भोले शंकर आगे आये और उन्होंने हलाहल विष का पान कर लिया. जैसे ही उन्होंने इसका सेवन किया, मां पार्वती ने शिव के गले पर अपना हाथ रख दिया. हलाहल शिव के गले से नीचे नहीं उतर पाया. विष के असर से भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया. हालांकि, भोलेनाथ ने विष को गले से नीचे नहीं जाने दिया, फिर भी विष के असर से बाबा भोलेनाथ को पीड़ा होने लगी.

इसलिए करते हैं शिव का जलाभिषेक

भगवान शंकर को विष के प्रभाव से मुक्त करने के लिए उनके शरीर पर जल चढ़ाया गया. इससे विष का असर धीरे-धीरे कम होने लगा. बता दें कि समुद्र मंथन श्रावण मास में हुआ था. इसी दौरान जलार्पण करके भगवान शंकर को विष के असर से मुक्त कराया गया. यही वजह है कि शिवलिंग पर श्रावण माह में जलार्पण की परंपरा शुरू हुई.

Aditya
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