बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर स्वास्थ्य विभाग का दिखाया आईना, ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर डाक्टरों की मनमानी तक खोली पोल

रांची। झारखंड में चुनावी राजनीति गरमा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्र में इलाज के अभाव में आदिम जनजाति के लोगों की हो रही मौत पर चिंता जतायी है। पत्र में बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।

उन्होंने लिखा है कि आए दिन आदिवासी खासकर विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति समाज के लोगों की मौत इलाज के अभाव में हो रही है लेकिन प्रशासन जिम्मेदारी लेने के बजाय एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहा है। उन्होंने लिखा राज्य में समय पर इलाज न हो पाने के कारण आए दिन प्रदेशवासियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लूट-खसोट में लिप्त है।

बाबूलाल मरांडी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पैसे लेकर डॉक्टरों को मनचाही पोस्टिंग देना स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रहा है। दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों का पदस्थापन नहीं रहने के कारण मरीज इलाज नहीं करा पा रहे हैं।


उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से अनुरोध किया है कि घटनाओं का संज्ञान लेते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने की मांग की है।

पत्र में किया कई घटनाओं का उल्लेख

अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने साहिबगंज सदर अस्पताल में सिमरिया गांव निवासी आदिम जनजाति पहाड़िया मथियम मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन की मौत का जिक्र किया है। वहीं गोपीकांदर प्रखंड के कुंडा पहाड़ी गांव की पहाड़िया जनजाति की 19 वर्षीय गर्भवती महिला प्रिंसिका महारानी की समय पर एंबुलेंस और ईलाज न मिल पाने के कारण जान चली गई।

जबकि जामताड़ा जिले के करमाटांड प्रखंड के नेंगराटांड गांव में 22 दिनों के अंदर आदिम जनजाति (पहाड़िया) परिवार के 8 सदस्यों की मौत हो गई है।

Aditya
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