बाबूलाल मरांडी का बड़ा चुनावी ऐलान, भाजपा सरकार बनते ही पुलिसकर्मियों को लेकर लेगी ये बड़ा फैसला, शायराना अंदाज में हेमंत पर निशाना

रांची। आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों को अब भाजपा का साथ मिला है। स्थायीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे 2300 सहायक पुलिसकर्मियों ने राजभवन घेराव की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें मोरहाबादी में ही रोक दिया गया। लिहाजा सहायक पुलिसकर्मियों का आक्रोश और बढ़ गया है। इधर बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पोस्ट कर हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है। बाबूलाल मरांडी ने शायरी के अंदाज में हेमंत पर कटाक्ष करते हुए उन्हें उनका वादा याद दिलाया है।

वचन बेचकर हेमंत सोरेन, फूले नहीं समाते हैं बेशर्मी की हद है फिर भी, बातें बड़ी बनाते हैं! भारी बरसात में भी खुली आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हमारे झारखंड सहायक पुलिस के भाई-बहनों का अनुबंध समाप्त हो रहा है। गत वर्ष हेमंत सोरेन ने इन्हें नियमित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन झूठ, धोखा, फरेबी, मक्कारी में महारत हासिल करने वाले हेमंत ने सहायक पुलिसकर्मियों के साथ भी विश्वासघात किया है।

बाबूलाल मरांडी ने आगे लिखा है कि हेमंत जी, ये आंदोलनरत सभी सहायक पुलिसकर्मी गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़े तबके के हैं। दिहाड़ी मजदूर से भी कम पैसे देकर सहायक पुलिसकर्मियों का शोषण करना बंद करिए। भारतीय जनता पार्टी सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन एवं इनके सभी उचित मांगों का समर्थन करती है। हमारी संस्कृति में प्राण देकर भी अपने वचनों को पूरा किया जाता है। मैं, भरोसा दिलाता हूं कि राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही सहायक आरक्षकों की सभी जायज़ मांगें पूरी की जाएंगी।

आपको बता दें कि सोमवार 1 जुलाई से ही राज्य के 12 अति नक्सल प्रभावित जिलों के 2300 सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन रांची के मोरहाबादी मैदान में चल रहा है। 1 जुलाई को पदस्थापन वाले जिलों में सामूहिक अवकाश पर रहने के बाद सहायक पुलिसकर्मियों ने रांची पहुंचकर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया है।

आपको बता दें कि वर्ष 2017 में राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में विधि-व्यवस्था दुरुस्त रखने में सहायता के लिए जिन सहायक पुलिस की नियुक्ति हुई थी. सात साल से काम कर रहे सहायक पुलिसकर्मी अपने अनुबंध की नौकरी को स्थायी की मांग कर रहे हैं. दो साल पहले भी मानसून के महीने में सहायक पुलिस कर्मियों का लंबा आंदोलन मोरहाबादी मैदान में चला था। हालांकि तब सेवा विस्तार के बाद सहायक पुलिसकर्मियों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था, लेकिन अब तक उनकी मांगों पर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।

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