"कुत्ते के काटने से दस्त की शिकायत बढ़ जाती है" पढ़िये बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से क्यों कही ये बातें....

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उत्पाद सिपाही भर्ती में अभ्यर्थियों की मौत की वजह जब से कोरोना वैक्सीन को बताया है, तभी से वो लगातार विपक्षी नेताओं के निशाने पर हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी लगातार हेमंत सरकार पर हमलावार है।

इधर बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री पर तीखा कटाक्ष किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है... कुत्ते के काट लेने से दस्त की शिकायत बढ़ जाती है... हैरान न हों, आजकल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसी ही अटपटी बातें सार्वजनिक रूप से कहते हुए नजर आ रहे हैं,जैसे ऊपर लिखी गई बात का न सिर है और न ही पैर, ठीक वैसे मुख्यमंत्री जी आज कल बिना सिर पैर की बातें करने में महारत हासिल कर चुके हैं।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उत्पाद सिपाही भर्ती दौड़ परीक्षा में अपनी कुव्यवस्था को छुपाने के लिए कोई न कोई बहाना तो जनता को बताना ही था, तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोरोना की वैक्सीन का बहाना देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन ये बताना भूल गए कि वैक्सीन सिर्फ मृतक अभ्यर्थियों भर को नहीं लगी थी, बल्कि पूरे झारखंडवासियों को लगी थी उसमें शायद आप भी रहे हों -आप भी तो दिल्ली से नंगे पैर भागते हुए झारखंड तक आए थे। आपको तो कुछ नहीं हुआ।

बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मेरी समझ में वैक्सीन तो कम से कम आपकी तरह जाति और धर्म देखकर काम नहीं करती होगी, अगर वैक्सीन की वजह से अभ्यर्थियों की जान गई तो उत्पाद सिपाही भर्ती दौड़ परीक्षा में लगभग 1 लाख 45 हजार अभ्यर्थी दौड़े, उनमें से वैक्सीन का असर सीमित लोगों तक ही सीमित कैसे रहा, आप चूंकि डॉक्टर और वैज्ञानिक भी होंगे खुद के ही मेडिकल इंस्टीट्यूट के तो कृपया ये भी बता दीजिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ये बताने में आपकी हिम्मत को पसीने आ रहे हों तो जिस तरह से सार्वजनिक रूप से आप झूठी अफवाह फैला रहे हैं, ठीक उसी तरीके से सार्वजनिक रूप से अपनी अव्यवस्था और कुव्यवस्था के लिए प्रदेश के सभी नौजवानों से माफी मांग लीजिए। क्योंकि, कोरोना की वैक्सीन ही थी जिसने करोड़ों लोगों की जान बचाई है।

कम से कम ऐसी निम्न स्तरीय बातें करके झारखंड को तो शर्मशार मत ही कीजिए। बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से कहा है कि वो मौत पर राजनीति करना बंद कर दीजिए! आपकी कुर्सी और निजी सेहत दोनों की के लिए अच्छा होगा।

Aditya
Aditya  
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