झारखंड में सूखे की आहट: मुख्यमंत्री ने मंत्रियों व अधिकारियों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक, कार्ययोजना बनाने के निर्देश, 11 जिलों में हालत खराब

रांची। मानसून का आधा मौसम गुजर गया है, लेकिन झारखंड की जमीं अभी भी प्यासी है। कुछ हिस्सों में तो अच्छी बारिश हुई है, लेकिन ज्यादातर हिस्सों में अभी भी बारिश का इंतजार चल रहा है। इधर मानसून की बेरुखी ने किसानों की परेशानी बढ़ायी ही है, सरकार को चिंता में डाल दिया है। लिहाजा सरकार अब किसानों को राहत देने के लिए प्लान तैयार करना शरू कर दिया है। आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शीर्ष अधिकारियों व मंत्रियों के साथ बैठक सूखे की आशंका के मद्देनजर कार्ययोजना पर चर्चा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड में मॉनसून में अब तक सामान्य से कम बारिश होने को लेकर मंत्रियों एवं वरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक कर शीघ्र कार्ययोजना तैयार करने सहित कई निर्देश दिए है। आपको बता दें कि प्रदेश में मानसून कमजोर स्थिति में है। रांची मौसम केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि मानसून ट्रफ व साइक्लोनिक सर्कुलेशन दोनों ही कमजोर पड़ चुके हैं। आज भी राज्य में कम बारिश की आशंका है। यह स्थिति 2 दिन तक रहेगी। 20 जुलाई के बाद फिर से मानसून सक्रिय होगा। तब जबरदस्त बारिश की उम्मीद है।

एक जून से 18 जुलाई तक राज्य में 49 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गयी है. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव (लो प्रेशर) वाला क्षेत्र बन गया है, जो झारखंड को हल्का छूते हुए ओडिशा तट की ओर बढ़ रहा है. वहीं, दूसरा साइक्लोनिक टर्फ जैसलमेर-गोपालपुर होते हुए पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है. यह भी झारखंड के बगल से गुजर रहा है, जिससे झारखंड के लगभग सभी जिलों में बादल छाये रहने तथा 20 से 23 जुलाई तक हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना है।

प्रदेश में अभी तापमान औसत 35 डिग्री चल रहा है। देवघर, दुमका, धनबाद, गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज में अधिकतम 35 व न्यूनतम 27 डिग्री, कोडरमा, चतरा, गढ़वा, लातेहार, पलामू में अधिकतम 35 डिग्री व न्यूनतम 26 डिग्री, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, रांची, खूंटी, गुमला में अधिकतम 33 डिग्री व न्यूनतम 27 डिग्री और पश्चिमी व पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला में अधिकतम 35 डिग्री व न्यूनतम 27 डिग्री तापमान दर्ज किया जा सकता है।

राज्य के 11 जिलों में कृषि कार्य ठप

झारखंड में के 11 जिलों में कम बारिश के कारण धान रोपा का खाता भी नहीं खुला है. इधर, राज्य के किसान एक बार फिर चिंतित हैं. अगर मॉनसून ने धोखा दिया, तो लगातार तीसरी बार झारखंड में सूखा पड़ जायेगा. गौरतलब है कि इस वर्ष राज्य सरकार ने 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. इसमें अब तक मात्र 1.02 लाख हेक्टेयर में ही धान लग सका है. इसमें कुछ जिलों में छींटा विधि से धान लगाया गया है. बारिश नहीं होने के कारण किसानों का बिचड़ा खेतों में ही सूखने की स्थिति में है. हालांकि, कृषि विभाग पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है. विभाग ने ‘आकस्मिक फसल योजना’ पर काम शुरू कर दिया है. विभाग मानता है कि अभी देर नहीं हुई है. यहां के किसान अगस्त तक खेतों में धान लगाते हैं. विभाग ने किसानों तक धान पहुंचा दिया है।

HPBL
HPBL  
Related Articles
Next Story