जितिया व्रत के दौरान दो महिलाओं की तबीयत बिगड़ी, गंभीर स्थिति में अस्पताल में कराना पड़ा भर्ती

कोडरमा। पुत्र के दीर्घायु होने की कामना के साथ मनाये जाने वाला जितिया का व्रत संपन्न हो गया। झारखंड में बड़ी संख्या में महिलाओं ने बुधवार को उपवास रखा था। इस दौरान सतगावां थाना क्षेत्र से महिलाओं के तबीयत बिगड़ने की खबर आयी। जितिया पर्व के उपवास के दौरान कुछ महिलाओं की तबीयत बिगड़ गयी।

जानकारी के मुताबिक बुधवार की शाम को विमली देवी (40 वर्ष), पति कारण रविदास ढाब निवासी, और पूजा कुमारी (26 वर्ष), पिता सुबोध कुमार, की हालत बिगड़ गई। जानकारी के मुताबिक उपवास के चलते उनकी तबीयत खराब हो गयी, जिसके बाद परिजनों ने उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सतगावां पहुंचाया। जहां उनकी तबीयत स्थिर बतायी जा रही है।

क्या है इस व्रत का महत्व

हर वर्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है। इस व्रत का महत्व बिहार, झारखंड, नेपाल, उत्तमर प्रदेश में अधिक माना गया है। महिलाएं इस खास दिन अपनी संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत बेहद ही कठिन माना जाता है, क्योंकि व्रत पूरे 3 दिनों तक चलता है.

इस व्रत में जीमूतवाहन की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. यह व्रत माताओं के लिए खास है, जो इस कठिन व्रत को रखकर ईश्वर से अपने बच्चों के लिए उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हैं. उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं. माताएं इस दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं. यह व्रत मातृत्व के पवित्र बंधन को दर्शाता है।

क्या है दंत कथाएं

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के दौरान अश्वत्थामा पिता की मौत का समाचार सुनकर बेहद नाराज हो गए थे। वे मन में बदले की भावना लेकर पांडवों के शिविर में आ गए। शिविर में 5 लोग सो रहे थे, जिसे अश्वत्थामा ने पांडव समझकर मृत्यु लोक पहुंचा दिया था। मारे गए ये पांचों लोग द्रोपदी की संतान कही जाती हैं। इस घटना के बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्य मणि छीन ली।


जिससे क्रोधित होकर अश्वत्थामा ने गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के बच्चे को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की अजन्मी संतान को अपने सभी पुण्य का फल देकर गर्भ में ही जीवित कर दिया। गर्भ में पल रहे इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका का नाम दिया गया। तभी से माताओं द्वारा बच्चे की लंबी उम्र और रक्षा की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की परंपरा आरंभ हुई।

Aditya
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