उत्पाद सिपाही भर्ती नियम में बदलाव नहीं होने पर भड़के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, बोले, "नियमावली बदलिये, नहीं तो आपका ढीठपना सुधार देगी जनता"

Excise Constable Bharti: उत्पाद सिपाही भर्ती की परीक्षा मंगलवार से फिर शुरू होगी। हालांकि पहले ये उम्मीद थी कि कैबिनेट में इस पर सरकार कुछ फैसला ले सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हालांकि पहले चर्चा ये थी कि 10 किलोमीटर की दौड़ को लेकर राज्य सरकार कुछ संशोधन का निर्णय ले सकती है।

लेकिन उत्पाद सिपाही भर्ती में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा, ये तय हो गया है। पूर्व की भांति नियम के आधार पर भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी। इधर झारखंड में उत्पाद सिपाही भर्ती को लेकर राजनीति गरम है। हालांकि कैबिनेट की बैठक में मृत अभ्यर्थियों के परिजनों को सहायता देने पर ही विचार किया गया है।

इधर 10 सितंबर से फिर शुरू होने वाले दौड़ को लेकर अभ्यर्थी अभी से ही खौफ में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सवाल उठाया है कि अगर भर्ती नियम गलत है, तो फिर सरकार उसी नियम से क्यों भर्तियां कर रही है। बाबूलाल ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईलाज में लापरवाही बरतने के कारण उत्पाद सिपाही भर्ती की 'मौत की दौड़' ने 15 युवाओं की जिंदगी लील ली।

उन 15 नौजवानों के चिता की आग भी ठंडी नहीं हुई थी, लेकिन संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली में जाकर उत्सव मना रहे थे, नाच रहे थे।

झारखंड के लाखों युवाओं को उम्मीद थी कि दिल्ली से आराम फरमाकर लौटने के बाद हेमंत सोरेन जिम्मेवारी लेते हुए उन 15 नौजवानों के परिवार से माफी मांगेंगे, उचित मुआवजा और सरकारी नौकरी की घोषणा करेंगे।


लेकिन हेमंत जी ने कोरोना वैक्सीन और पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों जैसी बेतुकी दलील देकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने का निंदनीय प्रयास किया। उनके द्वारा कारवाई के नाम पर सिर्फ दौड़ की तारीख और आयोजन स्थल में बदलाव किया गया है।

मुख्यमंत्री, युवाओं को दुबारा मौत के मुंह में झोंकने से पहले कुछ सवालों का जवाब दीजिए: - आपके अनुसार यदि आपकी सरकार के द्वारा ही बनाई हुई नियमावली गलत है, तो फिर उसी प्रक्रिया के तहत बहाली क्यों की जा रही है? - समीक्षा के नाम पर बहाली स्थगित हुई है, तो आपकी सरकार ने समीक्षा में क्या पाया है?


जब सब कुछ पूर्व की भांति ही है तो, युवा उमसती गर्मी में 10 किलोमीटर दौड़ेंगे ही, मौत के मुंह में जाएंगे ही... हेमंत सोरेन, 15 युवाओं की मां का आंचल सुना कर, उनके घरों के चिराग बुझाकर अपना चेहरा चमकाने की कोशिश मत करिए। मौत की दौड़ और अपने मौत वाली नियमावली में बलदाव लाइए, नहीं तो जनता आपका ये ढीठपना अच्छे ढंग से सुधार देगी। चुनाव का इंतजार करिए बस...

Aditya
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