हेमंत सोरेन चलायेंगे सरकार, तो कल्पना सोरेन पार्टी...हेमंत की रिहाई के बाद झारखंड की राजनीति में क्या हो सकता है बदलाव?

Hement Soren News: …तो क्या शुक्रवार को चंपई सोरेन की बतौर मुख्यमंत्री आखिरी कैबिनेट थी? क्या हेमंत सोरेन अब फिर से शपथ लेने वाले हैं? क्या हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनते ही कैबिनेट का नये सिरे से गठन होगा? आज हेमंत सोरेन की रिहाई के साथ ही कई सवाल सियासी गलियारों में उठने लगे हैं। चर्चा है कि हेमंत सोरेन फिर से झारखंड की कमान संभालने वाले हैं, वो जल्द ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि इससे पहले वो कानूनी पहलुओं को भी जरूर देखेंगे। क्योंकि अभी भी हेमंत सोरेन के लिए कानूनी अड़चने कम नहीं हुई है।

दरअसल चर्चा है कि हाईकोर्ट से मिली जमानत को ईडी अब सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने जा रही है। ऐसे स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जरूर हेमंत सोरेन इंतजार करेंगे। क्योंकि केजरीवाल की तरह हेमंत का भी फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलटा, तो उन्हें फिर से जेल जाना पड़ सकता है। लिहाजा, पेचिदगियों को खत्म होने तक वो सत्ता से बाहर रहकर ही सरकार चलायेंगे। हेमंत सोरेन के 5 महीने तक जेल में रहने के दौरान पूरी सरकार और पार्टी कल्पना सोरेन के इर्द-गिर्द पहुंच गयी थी। इस बात में कोई शक भी नहीं, कि कल्पना सोरेन ने पार्टी को बहुत अच्छे से संभाला भी। लोकसभा का परिणाम इसका उदाहरण भी है।

अब जबकि कल्पना सोरेन विधायक बन चुकी है और हेमंत सोरेन भी जेल से बाहर आ चुके हैं, ऐसे में पार्टी और सरकार दोनों के स्वरूप में बदलाव होगा। चुनाव के पहले हेमंत सोरेन का बाहर आना पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। खबर है कि कल्पना सोरेन को संगठन स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जायेगी, जबकि हेमंत सोरेन सरकार की कमान संभालेंगे।

हेमंत संभालेंगे सरकार, तो कल्पना को संगठन की कमान

जानकार बता रहे हैं कि हेमंत सोरेन के लिए अगर कानूनी पेचिदगियां साफ हो गयी, तो इस बात में कोई शक नहीं कि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ ना लें। वो फिर से मुख्यमंत्री की कमान जरूर संभालेंगे। हालांकि ईडी की अगली चाल और सुप्रीम कोर्ट का रूख, दोनों पर उनकी नजर होगी। राजनीति के जानकारों की मानें तो अगर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनते हैं तो कल्पना सोरेन सरकार का हिस्सा नहीं होगी। लेकिन, अगर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं, तो कल्पना सोरेन को सरकार में ही जिम्मेदारी दी जाये। हो सकता है उन्हें मुख्यमंत्री ही बना दिया जाये या नहीं तो फिर मंत्री।

अगर हेमंत सोरेन से मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो कल्पना सोरेन सरकार के बजाय संगठन संभालेंगी। वैसे भी लोकसभा चुनाव में कल्पना सोरेन ने संगठन की शानदार तरीके से अगुवाई की और बेहतर रिजल्ट भी दिलाया। कयास है कि उन्हें पार्टी के अध्यक्ष की कमान सौंप दी जाये। लिहाजा अभी झारखंड में विधानसभा चुनाव तक काफी उथल पुथल होना है। अभी झारखंड की राजनीति में कई उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे।

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