बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर IMA - झासा ने सरकार को दिया अल्टीमेटम, नहीं मानेंगे विभागीय आदेश, 20 अगस्त से करेंगे बहिष्कार,AJPMA भी आया साथ

रांची। स्वास्थ्य विभाग में लागू बायोमेट्रिक अटेंडेंस के विरोध में राज्य भर के चिकित्सक ने बैठक बुलाई। आइएमए (IMA, झारखंड चैप्टर) और झासा (JSHSA) की संयुक्त और आपात बैठक रविवार को आइएमए भवन में हुई. अलग अलग जिलों से आए डॉक्टर्स ने सरकार द्वारा हाल में लिए गये बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य किए जाने के मसले पर चिंता जताई और इसे अव्यवहारिक बताया.


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की झारखंड इकाई और सरकारी चिकित्सकों के संगठन झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) ने अटेंडेस पोर्टल से हाजिरी बनाने की अनिवार्यता के नियम को मानने से इनकार किया है.

विभागीय कार्यकलाप पर जताई नाराजगी

आइएमए के सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि डॉक्टर्स का संगठन बायोमेट्रिक अटेंडेंस पद्धति का विरोध नहीं करता. पर वर्तमान में 3 जिलों पलामू, साहिबगंज एवं गढ़वा में इसे वेतन से जोड़ा गया है. यहां तक कि इसी आधार पर वेतनमान में कटौती भी हुई है.


डॉक्टरों ने कहा कि जिन चिकित्सकों की वजह से राज्य का हेल्थ पैरामीटर ऊपर उठा है, उन्हीं डॉक्टर्स को आज सरकार अपमानित करने में जुटी है. झासा के पदाधिकारियों ने कहा कि एक मामले में पटना हाइकोर्ट यह साफ कर चुका है कि सिर्फ बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस ही डॉक्टरों के वेतन जारी करने का आधार नहीं हो सकता.

AJPMA ने भी जताई नाराजगी


स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी संगठन ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा की ये विभाग का तुगलगी फरमान है। समय सीमा खत्म होने पर भी स्वास्थ्य कर्मी कार्य पर लगे रहते है। ऐसे में यदि ये सिस्टम लागू किया जाता है तो कर्मी आपातस्थिति में भी कार्य क्षेत्र से हट जाएंगे जिसका सीधा असर मरीजों की जान माल पर पड़ेगा।

वहीं महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा की इस मुद्दे पर AJPMA पूरी तरह आईएमए झासा के साथ है। विरोध की रणनीति में साथ खड़े रहेंगे।


प्रेस वार्ता में बताया गया की विभाग द्वारा इससे संबंधित एक ऑनलाइन पोर्टल लागू किया गया है जिससे ड्यूटी करने के बाद भी चिकित्सक एवं पाराकर्मियों को बार-बार स्पष्टीकरण एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई, वेतन अवरुद्ध एवं वेतन की कटौती जैसी समस्याएं होंगी. इससे चिकित्सकों में रोष है. विभाग को इससे पहले संगठन के पदाधिकारी के साथ एक बैठक करनी चाहिए थी।


मालूम हो की पांच अगस्त 2024 को जारी सरकारी आदेश में यह कहा गया है कि राज्य के सभी चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मियों को अटेंडेंस पोर्टल से हाजिरी बनाना अनिवार्य होगा.इस बात का झारखंड आईएमए और झासा विरोध कर रहा है.





IMA ने बुलाई आपात बैठक


इसी संबंध में आईएमए एवं झासा की संयुक्त आकस्मिक मीटिंग बुलाई गई. इसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि झारखंड के सभी चिकित्सक 20 अगस्त से बायोमैट्रिक अटेंडेंस का बहिष्कार करेंगे. हालांकि वे निष्ठा पूर्वक एवं ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करेंगे. अपनी उपस्थिति ऑफलाइन रजिस्टर में अंकित करेंगे लेकिन बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं बनाएंगे.

डॉ सिंह ने बताया कि जबतक हमारे संगठन के स्तर से अपेक्षित बिंदुओं पर सरकार सकारात्मक रूख नहीं दिखाती, हम सबों का विरोध जारी रहेगा. बैठक में डॉ ठाकुर मृत्युंजय सिंह, डॉ भारती कश्यप, डॉ प्रभा रानी प्रसाद, डॉ अजय कुमार, डॉ अभिषेक सहित अन्य भी शामिल थे.






इन बिंदु पर जताई नाराजगी

राज्य सरकार समान रूप से राज्य के सभी विभागों के सभी सरकारी कर्मियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू करे. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखंड सरकार (अधिसूचना संख्या 5637 दिनांक 2413) के अनुसार यह राज्य सरकार के सभी कर्मियों पर लागू होगा. प्वाइंट नंबर 3 में सभी विभाग को अपने अधीनस्थ सभी स्थापनाओं में कार्यरत प्रत्येक कमी के द्वारा इस ऑनलाइन बायोमेट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया है.

ग्रामीण इलाकों विशेष कर हार्ड टू रीच एवं वेरी हार्ड टू रीच जगहों पर बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था, नेटवर्क एवं सर्वर उपलब्ध कराए बिना बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य ना हो.

मुख्य सचिव के द्वारा हाल ही में सभी उपायुक्त को निर्देश दिया गया है कि झारखंड मुख्यमंत्री मईयां सम्मान योजना के क्रियान्वयन के संबंध में क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी अथवा सर्वर में आ रही समस्याओं को दृष्टि गत रखते हुए ऑफलाइन आवेदन प्रपत्र भी प्राप्त किया जाए. ऐसे में डॉक्टर्स के मामले में भी ऐसी रियायत हो. डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ के ड्यूटी आवर एवं ड्यूटी प्लेस तय नहीं होते.सभी विभिन्न स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों में आईपीएस नॉर्म्स के अनुसार वेकेंट पोस्ट के विरुद्ध बहाली किए बिना बायोमेट्रिक अटेंडेंस से राहत मिले।

मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग को आकस्मिक सेवा मानते हुए बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से एक्जेप्ट किया है. ऐसे में मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि स्वास्थ्य विभाग को भी बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से एक्जेम्प्ट किया जाए या यह घोषणा किया जाए कि स्वास्थ्य विभाग आकस्मिक सेवा नहीं है.।

शनिवार, रविवार एवं केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के घोषित अवकाशों के दिन भी स्वास्थ्य विभाग में छुट्टी नहीं होती. दैनिक ड्यूटी 24×7 की होती है. जबकि कार्मिक विभाग की अधिसूचना में इसे पूर्वाह्न 10:30 से अपराह्न 5:00 तक उपस्थिति दर्ज करने की बात की गई है।

मतलब साफ है की यह सिर्फ कार्यालय कर्मियों के लिए बनाई गई थी. इसे आकस्मिक सेवा देने वाले विभाग में लागू नहीं करना चाहिए. संगठन के द्वारा 28 मई को प्रधान सचिव को 15 सूत्री मांगों से संबंधित मांग पत्र सौंपा गया था. विशेषकर सेवा संपुष्टि, केंद्र एवं बिहार सरकार के तर्ज पर डायनेमिक एसीपी देने और अन्य मांग थी. इसे माने जाने तक बायोमेट्रिक अटेंडेंस की अनिवार्यता ना हो।

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