झारखंड: पार्टी में घुट-घुटकर जी रहे थे चंपाई सोरेन, बिना बताये कार्यक्रम रद्द कर दिये, कहा गया, आप नहीं जा सकते हैं कार्यक्रम में...

रांची। चंपाई सोरेन JMM में कितना घुट-घुटकर जी रहे थे, इसकी अहसास उनकी लिखी गयी चिट्ठी में मिलती है। उन्होंने खुद कहा है कि जिस तरह से उन्हें अपमानित किया गया, वो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा। चंपाई सोरेन ने इस्तीफा देने से एक दिन पहले के घटनाक्रम का भी जिक्र किया है।

उन्होंने खुलासा किया कि पार्टी की तरफ से उनसे बिना पूछे ही उनके (मुख्यमंत्री) के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिये। चंपाई कहते हैं कि एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।

चंपाई को ये आदेश बहुत नागवार लगा था। चंपाई ने बाताया कि लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा। लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया।

पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा।

चंपाई सोरेन की पार्टी में हैसियत ना के बराबर रह गयी थी। उन्होंने कहा कि इस पार्टी में मेरी गिनती वरिष्ठ सदस्यों में होती है, बाकी लोग जूनियर हैं, और मुझ से सीनियर सुप्रीमो (शिबू सोरेन) जो हैं, वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, फिर मेरे पास क्या विकल्प था? अगर वे सक्रिय होते, तो शायद अलग हालात होते। कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन चंपाई सोरेन को बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था।

बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था। पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था।


मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता।

Aditya
Aditya  
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