झारखंड: हाईकोर्ट ने चार दोषियों की फांसी की सजा की रद्द, निचली अदालत की दी गयी सजा को बदला, जानें पूरा मामला

रांची। हाईकोर्ट ने तीन कैदियों की फांसी की सजा रद्द कर दी है। बोकारो में एक बच्चे की किडनैपिंग के बाद हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में निचली अदालत ने तीन दोषियों की फांसी की सजा सुनायी थी। मामले में हाईकोर्ट में दोषियों ने अपील दायर की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने तीनो दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दी है।


जिन तीन दोषियों की सजा बदली है, उसमें विवेक कुमार, संजय कुमार रजक और संजीव कुमार सिंह शामिल हैं।

इससे पहले बोकारो के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश ने 26 सितंबर 2019 को इन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। मामला 11 साल पुराना है। बोकारो के सेक्टर चार निवासी 11 वर्षीय सुधांशु 26 नवंबर 2013 को ट्यूशन के लिए निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा।


उसकी काफी खोजबीन की गई, पर कोई पता नहीं चला। अमलेश कुमार सिंह ने केस दर्ज कराया। इसमें बताया गया था कि 28 नवंबर 2013 को उनके मोबाइल पर फोन आया। इसमें बच्चे के अपहरण की बात कहते हुए 20 लाख रुपए फिरौती मांगी गई।

पुलिस को सूचना देने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी बीच बच्चे के परिजनों ने पांच लाख रुपए की फिरौती अपराधियों को सौंप दी, पर बच्चा नहीं मिला। बाद में जंगल में बच्चे की चार टुकड़ों में कटी लाश मिली। हाईकोर्ट में दायर याचिका पर जस्टिस आनंद सेन व गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए तीनों दोषियों की सजा बदल दी।

वहीं, एक अन्य मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने ऑनर किलिंग मामले में निचली अदालत द्वारा चार लोगों को दी गई फांसी की सजा निरस्त कर दी है। जस्टिस आनंदा सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की कोर्ट ने कोडरमा में 2018 में हुए इस मामले में मृतका के माता-पिता दुलारी देवी व किशुन साव की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।


वहीं चाचा सीताराम व चाची पार्वती को साक्ष्य छिपाने का दोषी मानते हुए पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई। हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

एफआईआर के मुताबिक किशुन साव की बेटी मार्च 2018 में गांव के ही दूसरी जाति के युवक प्रदीप शर्मा के साथ राजस्थान चली गई थी। वहां दोनों ने शादी की और कुछ दिन बाद गांव लौट आई। मामला पंचायत में पहुंचा। इसी बीच युवती ने आत्महत्या कर ली। परिवारवाले पुलिस को सूचना दिए बिना शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए।


इसी बीच पुलिस वहां पहुंची तो शव जला रहे लोग वहां से भाग निकले। पुलिस ने इसे ऑनर किलिंग मानते हुए केस दर्ज किया था। इस मामले में निचली अदालत ने 15 मार्च 2021 को मृतका के माता-पिता और चाचा-चाची को फांसी की सजा सुनाई थी। फैसले के खिलाफ दोषियों ने क्रिमिनल अपील दाखिल की थी।

Aditya
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