झारखंड: सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज का मुद्दा गरमाया, भाजपा बोली, वाह रे हेमंत बाबू…वादा किया था स्थायी नौकरी का और दे दी लाठियों की मार!

रांची। सहायक पुलिसकर्मियों पर हुए लाठीचार्ज का मुद्दा गरमा गया है। मुख्यमंत्री निवास घेरने जा रहे सहायक पुलिसकर्मियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। अब इस मामले में भाजपा ने हेमंत सरकार पर निशाना साथा है। आज गृहमंत्री भी छत्तीसगढ़ आने वाले हैं, लिहाजा इस मुद्दे को भाजपा ने और जोर दे दिया है। अमित शाह के सामने भी इस मुद्दे को भाजपा तूल देने की जरूर कोशिश करेगी। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने सहायक आरक्षकों पर हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर निशाना साधते हुए इसे तानाशाही करार दिया है।

अमर बाउरी ने हेमंत सरकार पर साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि.. वाह रे हेमंत बाबू…वादा किया था स्थायी नौकरी का और दे दी लाठियों की मार! इस अत्याचार ने आपकी वादाखिलाफी और तानाशाही को बेनकाब कर दिया है। लेकिन याद रखिए इस लहु का बदला जरूर लेंगे झारखंड के युवा। हेमंत सरकार से मूलवासी - आदिवासियों को बचाव ! "स्वघोषित शेरदिल" हेमंत जी तनिक भी लज्जा बची है कार्यालय में तो जबरदस्त तालियां बजा रहे होंगे आप लोग। अमर बाउरी ने लाठीचार्ज का वीडियो भी सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया है।

बाबूलाल मरांडी बोले, ये लाठी महंगी पड़ेगी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि "सहायक पुलिसकर्मियों के शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी गठबंधन सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।" झारखंड सहायक पुलिसकर्मी बीते 17 दिनों से रांची में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हेमंत की आंखों में न जाने कौन सी चुभन महसूस होने लगी कि उनपर लाठियां बरसाने का आदेश दे दिया गया। पुलिसकर्मियों के निकले खून और आसूं से भी अभी पेट नहीं भरा तो, मोरहाबादी मैदान में लगे टेंट को उखाड़ फेंका गया, वहां गर्भवती महिलाओं सहित बच्चों को भी नहीं छोड़ा गया उनको भी घसीट कर पीटा गया। हमारे सहायक पुलिसकर्मी भाई बहनों ने न जाने कौन सा गुनाह कर दिया है कि अधिकारों की लड़ाई करते करते अब उन्हें अपने परिवारों को भी बचाने की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। हे मंद प्राणी... टेंट उखाड़कर फेंक देने से हिम्मत नहीं टूट जाती है बल्कि आंदोलन विद्रोह का रूप ले लेता है, ये बात आपको कब समझ आएगी?

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरा करने के बजाय हेमंत सरकार पुलिस भेजकर लाठी डंडे चलवा रही है। नक्सलियों को भगाने के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर देने वाले सहायक पुलिसकर्मियों को अब राज्य की पुलिस ही पीट रही है, उनका गुनाह सिर्फ एक है कि उन्होंने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई, हिम्मत वाली सरकार को चुनौती पेश की। घमंड में चूर हेमंत सोरेन ने आदिवासी भाई बहनों और गर्भवती माताओं तक को भी नहीं छोड़ा है। पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल तैयार कर दिया गया है। पिछले 17 दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले सहायक पुलिसकर्मियों पर इस तरह का कायराना हमला करवाना हेमंत की मानसिकता को दर्शाता है। राज्य ने पिछले 24 सालों में ऐसी राजनीतिक अराजकता नहीं देखी है, न ही ऐसा क्रूर और निर्दयी हेमंत रूपी शासक देखा है, जो अपने ही लोगों की जान के पीछे हाथ धोकर पड़ा है।


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