ना सीता चली, और ना गीता, फिर चंपाई का जादू चलेगा क्या? हेलीकॉप्टर लैंडिंग वाले नेताजी से भाजपा को फायदा से ज्यादा हुआ है नुकसान

Jharkhand News: भाजपा को लगता है झारखंड में अपनों से ज्यादा बाहर से लाये नेताओं पर भरोसा है। ये बात अलग है कि भाजपा ये दांव लोकसभा में पूरी तरह से फेल हो गया, लेकिन विधानसभा में एक बार फिर वो वही दांव आजमाने जा रही है।

दरअसल लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने कांग्रेस की गीता कोड़ा को तोड़ा, तो वहीं झामुमो की सीता सोरेन को भाजपा में शामिल कराया। दोनों को टिकट भी दिया गया, लेकिन दोनों चुनाव हार गयी। अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव के पहले चंपाई सोरेन को भाजपा में इंट्री करायी जा रही है।

लिहाजा, सवाल उठने लगे हैं कि “हेलीकाप्टर लैंडिंग” करने वाले चंपाई सोरेन, क्या भाजपा की चुनावी नैय्या पार लगा पायेंगे।

दरअसल इसके पीछे का तर्क भी बहुत सटीक है। जब बाहर से कोई नेता आता है, जाहिर है सालों से ग्राउंड पर मेहनत करने वाले जमीनी नेताओं का हक मारा जाता है। पार्टी उन पर बाहर से लाये नेताओं को थोप देती है, लिहाजा फायदा से ज्यादा नुकसान हो जाता है।


गीता कोड़ा के साथ भी यही हुआ, वहीं स्थिति सीता सोरेन की भी हुई। वो भी तब जब गीता कोड़ा सीटिंग सांसद थी, तो वहीं सीता सोरेन सीटिंग एमएलए। भाजपा को ये प्रयोग इतना भारी पड़ा, कि दोनों सीट भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी।

हालांकि राजनीति के जानकार कहते हैं कि चंपाई सोरेन के मुद्दे पर ऐसा नहीं होगा, क्योंकि चंपाई की पहचान मास लीडर की रही है। चार दशक की राजनीति में उन्होंने अपनी पैठ जो कोल्हान में बनायी है, भाजपा को उसका जरूर फायदा मिलेगा।


कोल्हान की 14 सीट पर भाजपा की नजर है। दावा है कि अगर कोल्हान में चंपाई के हाथों भाजपा का जादू चल गया, तो सत्ता तक पहुंचना भाजपा के लिए आसान हो जायेगा। लेकिन उससे पहले ये देखना होगा कि चंपाई सोरेन अपने साथ कितने बड़े चेहरों को भाजपा के साथ जोड़ सकते हैं।

चम्पाई जिस सरायकेला से विधायक हैं, वो कोल्हान इलाके में आता है और इस क्षेत्र में आदिवासियों का खासा दबदबा है। चम्पाई की नाराजगी और पार्टी छोड़ने की खबरों के बाद JMM बेहद सतर्क है और किसी भी स्थिति में जनता के बीच यह संदेश नहीं देना चाहती है कि चम्पाई सोरेन के अपमान का उनका कोई इरादा है।


कोल्हान मंडल में तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम आते हैं. इन तीनों जिलों में 14 विधानसभा सीटें हैं और चम्पाई सोरेन का खासा प्रभाव है। इस इलाके में अभी JMM के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो चम्पाई का विकल्प बन सके। चम्पाई की संगठनात्मक क्षमता का झारखंड मुक्ति मोर्चा को फायदा मिलता रहा है।

बीजेपी को इस इलाके में मजबूत आदिवासी नेता की तलाश रही है। अब चंपाई के जरिए बीजेपी ना सिर्फ 14 सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है, बल्कि कोल्हान में अपना खाता भी खोल सकती है। कोल्हान प्रमंडल में पूर्वी सिंहभूम जिला आता है।


इस जिले में छह सीटें हैं. इनमें बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर (पूर्व) और जमशेदपुर (पश्चिम) का नाम शामिल है। 2020 के चुनाव में चार सीटों पर JMM ने चुनाव जीता था।

एक सीट जमशेदपुर (वेस्ट) में कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और जमशेदपुर (ईस्ट) से बीजेपी के बागी निर्दलीय सरयू राय ने जीत हासिल की थी. तत्कालीन सीएम रघुबर दास को शिकस्त मिली थी. बीजेपी का खाता नहीं खुल सका था। सरायकेला खरसावां जिले में तीन सीटें हैं.

इनमें ईचागढ़, खरसावां, सरायकेला का नाम शामिल है। 2020 में इन तीनों सीटों पर JMM ने कब्जा जमाया था. वहीं, पश्चिमी सिंहभूम जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर का नाम शामिल है।

2020 के चुनाव में चार सीटों पर JMM ने चुनाव जीता था। एक सीट जगन्नाथपुर में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। कोल्हान इलाके की 14 विधानसभा सीटों में से JMM ने 2020 में 11 सीटें जीतीं थीं, दो सीटें अलायंस में सहयोगी कांग्रेस ने जीतीं. एक सीट पर निर्दलीय का कब्जा रहा.

बीजेपी के हाथ खाली रहे थे। 2020 में JMM को 30, कांग्रेस को 16, आरजेडी को एक, कम्युनिस्ट पार्टी को एक, एनसीपी को एक सीट मिली थी। झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को 3, बीजेपी को 25, आजसू पार्टी को 2 और निर्दलीयों ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी।

Aditya
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