चुनाव के पहले नया गठजोड़ : हेमंत सोरेन से सरयू राय की मुलाकात के क्या है मायने? चुनाव में क्या नया खेला करने वाले हैं सरयू राय

रांची। सरयू राय की अचानक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात? महज सियासी संयोग या फिर कोई भविष्य का गठजोड़? इसे लेकर सवाल और संशय दोनों झारखंड के सियासी बादल में छाये हुए हैं। चर्चा है कि सरयू राय की हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन से मुलाकात महज इक्तेफाक नहीं हो सकता। वो भी तब, जब प्रदेश चुनाव की दहलीज पर खड़ा है और हर राजनेता अपना एक-एक कदम राजनीति नफा नुकसान को टटोलकर बढ़ाता है।

सरयू राय के बारे में कहा जाता है, कि वो अपने आप में पॉलटिक्स की पूरी किताब है, जिन्हें पढ़ पाना मुश्किल ही नहीं नामुकीन है। पूरे पांच साल तक सत्ता और गठबंधन को घेरने वाले सरयू राय को लेकर अटकलें लग रही है कि झारखंड में चुनाव पूर्व सरयू राय कुछ बड़ा गुल खिलाने वाले हैं। लिहाजा उन्होंने मुख्यमंत्री और कल्पना सोरेन के साथ मुलाकात की। बंद कमरे में हुई चर्चा को लेकर जानकारी तो नहीं आयी है, लेकिन चर्चा यही है कि उन्होंने राजनीति मुद्दे पर ही चर्चा की है।

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही हेमंत सोरेन के तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद विधानसभा के विशेष सत्र में सरयू राय ने मीडिया से कहा था कि हेमंत सोरेन को बीजेपी ने मजबूत बनाया। उन्होंने कहा था कि यदि हेमंत सोरेन आज मजबूत आदिवासी नेता के रूप में उभरे हैं तो इसके पीछे बीजेपी की गतिविधियां हैं। उन्होंने कहा था कि बीजेपी की वजह से ही वे मजबूत बने हैं। जाहिर है कभी पानी पी पीकर कोसने वाले सरयू राय ने अगर हेमंत सोरेन से मुलाकात की है, तो जाहिर है इसके लंबे सियासी मतलब है, जिसका जानकारी जल्द ही सबके सामने देखने को मिल सकती है।

सरयू राय ने ज्यादतर वक्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आलोचना की थी। जमीन घोटाला केस में जब ईडी के कई समन के बाद मुख्यमंत्री हाजिर नहीं हुए तो उन्होंने एक्शन लेने की बात कही थी। लेकिन गिरफ्तारी के बाद सरयू राय ने हेमंत सोरेन को लेकर सहानुभूति दिखायी थी। बन्ना गुप्ता के साथ उनकी तल्खी तो जगजाहिर थी, जाहिर इस मुलाकात के मायने सामान्य तो बिल्कुल ही नहीं है।





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