NHM घोटाला: जिले में कई हैं प्रमोद, सरकारी योजना बना लूट का अड्डा, गंभीरता से हुई जांच तो उठेंगे कई पर्दे

धनबाद। सरकारी योजनाओं का पैसा बाबुओं और अधिकारियों का अवैध कमाई का जरिया है? क्योंकि वर्तमान समय जितने भी सरकारी योजनाएं चल रही है सब में कहीं न कही घोटाले की खबरे आती रहती है। झारखंड में इस मामले में कई मंत्री, सचिव तक इस चपेट ने आ चुके है। मुख्यमंत्री लाख जनता के बीच भ्रष्ट्राचार रोकने जा दावा करते हो पर असल में हकीकत कुछ और हीं है।

स्वास्थ्य विभाग में केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम एनएचएम भी इससे अछूता नहीं है। यही वजह है की धनबाद में 10 - 15 हजार की मामूली मानदेय पर काम करने वाला भी अनुबंध कर्मी 7 करोड़ का घोटाला कर जाता है, कोडरमा में 2- 3 हजार मानदेय पर काम करने वाला कर्मी पुरूषों से बच्चा पैदा करवा कर 50 लाख डकार जाता है। ऐसा नहीं है की इस तरह का मामला सिर्फ इन्ही 2 जिलों तक सिमटा हुआ है।

सूत्र बताते है की यदि केंदीय जांच एजेंसी के माध्यम से अब तक के पैसे के लेन देन का लेखा जोखा हुआ तो बहुत बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है। जिस तरह से एनएचएम के पैसे का मनमाने तरीके से बंदरबांट का नतीजा सामने आ रहा है उससे साफ जाहिर है की इसमें संविदाकर्मी से लेकर अधिकारी तक शामिल है।

जिले में कई प्रमोद


धनबाद जिले में 6 करोड़ के एनएचएम घोटाले में जिस तरह से प्रमोद सिंह और उनके सहयोगी के साथ साथ अधिकारियों की भी मिली भगत की बात सामने आ रही है क्योंकि कोई भी कर्मचारी पैसे के लेन देन के लिए अंतिम रूप से अधिकृत नहीं होता बल्कि उसके लिए जिम्मेवार अधिकारी भी होते है। कर्मियों को दी जाने वाली राशि से लेकर अन्य स्वास्थ्य सुविधा पर इसका असर साफ देखा जा सकता है।

जिले में हो सकते हैं कई प्रमोद


ईडी की टीम ने फिर से एक बार प्रमोद सिंह के घर दबिश दी। उसके बाद ये सवाल उठना लाजिमी है जिले में भ्रष्ट्राचार चरम पर है। क्योंकि पद से हटने के वावजूद प्रमोद सिंह का आना जाना सिविल सर्जन कार्यालय ने लगा रहा। बाबुओं और अधिकारियों से करीबी संबंध भी रहे है।

कई कर्मी और सिविल सर्जन भ्रष्ट्राचार की जद में

जिले के कई पूर्व सिविल सर्जन पर भ्रष्ट्राचार के कारोप लग चुके है। कई पर कारवाई तक हो चुकी है, और कई पर जांच जारी है। ये जांच की आंच सिर्फ सिविल सर्जन तक ही सिमटी नही है बल्कि वर्षो से कई कर्मी पर भी भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे है,परंतु कारवाई के नाम पर कुंडली मार दी जाती है। जिनमे कई कर्मी तो सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।

कई कर्मी विभाग में दवा सप्लाई से लेकर अन्य टेंडर में शामिल

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के कई कर्मी दवा आपूर्ति, अन्य सामग्री की सप्लाई और टेंडर मैनेज करने तक संलिप्त है। मतलब विभागो में आपूर्ति होने वाली सामग्री पूर्व में ही कर्मी तय कर लेते है। सूत्र बताते हैं की कई कर्मियों ने इस संबंध में आपसी सांठ गांठ कर लिया है ताकि किसी बाहरी कंपनियों और सप्लायर को रोका जा सके और आपस में ही बंदरबांट सुनियोजित तरीके से हो सके।

यही वजह है वर्षो से एक खास चहेते सप्लायर ही सभी कार्यक्रम के पोस्टर बैनर, छपाई, प्रशिक्षण कार्यक्रम में खाने से लेकर अन्य सामग्री सप्लाई, राष्ट्रीय कार्यक्रम में होने वाली जरूरत की सामग्री से लेकर अन्य सामान तक की सभी विभागों में सप्लाई का काम दिया जाता है।

मालूम हो की करीब 6.97 करोड़ रुपए के एनआरएचएम घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 41 दिन बाद फिर छापेमारी की। जांच एजेंसी ने झरिया पीएचसी में संविदा पर बहाल तत्कालीन ब्लॉक खाता प्रबंधक प्रमोद ​सिंह के सहयोगी नगर स्थित आवास की तलाशी ली। ईडी की 11 सदस्यीय टीम ने प्रमोद के घर को सुबह 11 बजे से शाम छह बजे तक खंगाला। जिसमे कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे जिससे जांच का दायरा और बढ़ सकता है।

HPBL
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