रांची : जूते चप्पल नहीं पहनने वालो को मॉल में नहीं मिलेगा प्रवेश.. 1 साल पहले जिस मॉल का सीएम हेमंत सोरेन ने किया था उद्घाटन उसमें कावड़ियों को प्रवेश से रोका, मचा बबाल

रांची। क्या मॉल में सिर्फ जूते चप्पल और बड़ी बड़ी गाड़ियों से आने वाले को ही प्रवेश मिलेगा? ये सवाल आज हम आपसे इसलिए कर रहे है क्योंकि ये सवाल का जवाब जितना अहम है उतना ही आपका जानना जरूरी है आज ये सवाल उठाने पर हम क्यों मजबूर है?

पवित्र श्रावण के महीने में एक और जहां पूरा क्षेत्र गेरुआ वस्त्र और कावड़ से पट जाता है। पूरे महीने स्वेच्छा से बिना चप्पल - जूते पहने और शुद्ध शाकाहारी भोजन कर भगवान शिव के जयकारे की गूंज सुनाई पड़ती है। वैसे में राजधानी रांची में बाबाधाम नगरी में जल अर्पण के बाद रांची के एक मॉल में कावड़ियों की इसलिए घुसने से मना कर दिया की आपने चप्पल जूते नहीं पहने हैं।

धार्मिक भावना को पहुंचाया ठेस

श्रावण के महीने में अपने आप को राजधानी रांची के सबसे बड़े मॉल के रूप में पहचान की बात करने वाले ने जिस तरह से कावड़ियों के साथ दुर्व्यवहार किया है उसे कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है। क्योंकि आज भी भारत में कितनी जनसंख्या बदन पर बिना कपड़े और पैर में बिना जूते चप्पल के जीवन जीने को मजबूर है।

राजधानी रांची के सबसे बड़े मॉल में कावड़ियों के साथ दुर्व्यवहार करने का मामला तूल पकड़ने लगा है.रांची के एक मॉल में नंगे पाव पहुंचे लोगों को प्रवेश करने से रोका गया था। जिन लोगों को मॉल के प्रोटोकॉल का हवाला देकर घुसने से रोका गया, वे लोग देवघर स्थित बाबा धाम की कांवर यात्रा के बाद रांची लौटे थे।उनका कहना है कि कांवरिया वेशभूषा में होने की वजह से उन्हें रोका गया।

गार्ड ने अंदर जाने से किया मना

जिसके बाद मीडिया के सामने Mall Of Ranchi के GM के ने माफी मांगी है.साथ ही कर्मचारियों पर कार्रवाई की बात कही. बता दे कि देर रात कावड़ियों का एक ग्रुप में मॉल में बिना चप्पल अंदर जाना चाह रहे थे लेकिन मॉल के गाइड लाइन का हवाला देकर सभी को बाहर निकाल दिया गया .जिसके बाद इस पूरे वारदात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।

कावड़ियों ने कहा

रोके गए कांवरियों में से एक सुशांत चौबे ने कहा कि वे लोग देवघर में पैदल कांवर यात्रा पूरी तरह लौटे थे। रास्ते में ‘मॉल ऑफ रांची’ दिखा तो वे जरूरत का सामान और जूता-चप्पल खरीदने के लिए अंदर जाने लगे, इस पर उन्हें पहले गार्ड ने रोक दिया। इसके बाद मैनेजर ने प्रोटोकॉल का हवाला दिया और कहा कि नंगे पांव आए लोगों को एंट्री नहीं दी जा सकती।

मामला बढ़ा तो मैनेजर ने मांगी माफी

मॉल का उद्घाटन एक साल पहले 17 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता प्रकाश झा ने किया था.बताया गया था कि इस मॉल के खुल जाने से रांची को एक अलग पहचान मिलेगी.रांची का सबसे बड़ा मॉल खुला है.लेकिन अब ठीक एक साल बाद इस मॉल के वजह से तो रांची का नाम जरूर देश में सुर्खियां बटोर रहा है.लेकिन यह सुर्खियां अच्छे काम के लिए नहीं बल्कि बदनामी के लिए है.

वीडियो के वायरल होने के बाद मॉल ऑफ रांची के जनरल मैनेजर ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है.मॉल के मैनेजर नीतीश अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा कि इन कांवरियों की सुरक्षा को देखते हुए मॉल में इंट्री नहीं दी गई, क्योंकि वे सभी नंगे पांव थे। वे लोग फर्श पर फिसल सकते थे। मॉल के प्रोटोकॉल में इसका विशेष ध्यान रखने की हिदायत दी गई है। हालांकि बाद में उन्हें प्रवेश दे दिया था।

मैनेजर एस सान्याल ने कहा कि उनका मकसद किसी भी गरीब या धर्म को ठेस पहुंचाने का नहीं है.सुरक्षा के लिहाज से बिना चप्पल मॉल में नहीं जाने दिया गया था.मॉल में सभी को जाने की इजाजत है. उन्होंने कहा कि किसी को इस घटना से ठेस पहुंची है तो उसके लिए वह माफी मांगते है.साथ ही दोबारा ऐसी घटना ना हो इसका ध्यान रखा जाएगा.

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