झारखंड में आरक्षण का फिर गरमा सकता है, मुख्यमंत्री बोले, वो करें तो संवैधानिक, हम करें तो असंवैधानिक
रांची। झारखंड में एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा गरमा सकता है। हेमंत सोरेन ने आरक्षण को लेकर भाजपा को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि आज भाजपा की वजह से ही आरक्षित वर्ग हक से वंचित है। गिरिडीह में सोमवार को अपने संबोधन में आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा को जमकर घेरा है।
हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि पिछड़ों को पूर्व में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता था, उसे भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री ने 14 प्रतिशत कर दिया था। जब हम लोगों ने पिछड़ों को अधिक आरक्षण देने संबंधी प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा तो उस पर यह चुप हो गए।
भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कभी वह राजभवन में अटक गया, कभी केंद्र सरकार के पास अटक गया। हम कुछ करें तो असंवैधानिक। ये करें तो संवैधानिक। भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। बड़े-बड़े वकील करके यह हमारी योजनाओं को लटकाने में लगे रहते हैं।
मुख्यमंत्री ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पहले नियोजन नीति रद्द करवाई फिर झारखण्ड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को रोकने के लिए ये लोग कानून का सहारा ले रहे हैं। लेकिन ऐसा हम होने नहीं देंगे। पूर्व की डबल इंजन सरकार में गांव के कुछ चुनिंदा लोगों को ही पेंशन की राशि मिल पाता था, बिचौलियों का चक्कर काटते-काटते लोग थक जाते थे मगर तब भी लाभ नहीं मिल पाता था।
मुख्यमंत्री ने शासन के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि आज आपकी सरकार ने ऐसा कानून बनाया है कि अब गांव में जितने भी वृद्ध हैं या जरूरतमंद हैं, उन सभी को पेंशन का सम्मान मिल रहा है। गांव-गांव, टोला-टोला जाकर हक-अधिकार से अबुआ सरकार जोड़ रही है।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सहायिका, सेविका, रसोईया, पोषण सखी, जल सहिया, स्वास्थ्य सहिया, सहायक पुलिसकर्मी एवं राज्य के कर्मचारियों को कुछ ना कुछ लाभ देने का प्रयास किया गया है। कई ऐसे निर्णय और कार्य हम लोगों ने किया है जो देश में पहली बार किया गया है। आज झारखण्ड के कार्य को देखकर दूसरे राज्य के लोग भी अपने यहां लागू कर रहे हैं।