"सहायक आरक्षकों के आगे से "सहायक" शब्द हटा दिया जायेगा" पूर्व मुख्यमंत्री बोले, तीन महीने धैर्य रखो.... बीजेपी ने ...

रांची। लाठीचार्ज और तंबू उखाड़ने के बाद भी सहायक आरक्षकों के तेवर ढिले नहीं पड़े हैं। आरक्षकों ने दो टूक कहा है, जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जायेगी, तब तक वो राजधानी नहीं छोड़ेंगे। आज सहायक आरक्षकों से मिलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी पहुंचे। उन्होंने सहायक आरक्षकों से बातचीत की और उनकी पीड़ा को जाना। इस दौरान एक सहायक आरक्षक ने पूर्व मख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से कहा कि उनकी बातों को कोई सुनने वाला नहीं है, वो कहां जायें, कुछ समझ नहीं आ रहा है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वो उनकी पीड़ा सुनने के लिए ही आये हैं। भाजपा विधानसभा उनकी मांगों को पूरजोर तरीके से उठायेगी और उनको न्याय दिलायेगी। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अभी तीन महीने से धैर्य रखना होगा, भाजपा की सरकार बनते ही सहायक आरक्षकों के आगे से सहायक शब्द को हटा दिया जायेगा, वो आरक्षक बन जायेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही सहायक पुलिसकर्मियों के आगे से 'सहायक' शब्द हटा दिया जाएगा। गरीब, दलित, आदिवासी, पिछड़े तबके के सहायक पुलिसकर्मी भाइयों-बहनों को मैं आश्वस्त करता हूं कि 3 महीने बाद राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही उन्हें स्थायी किया जाएगा। सालों से जनता की सेवा में कार्यरत सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज करा के

ने अपनी सरकार के पतन को आमंत्रण दिया है।

क्रांति की आवाज लाठी से नहीं दबाई जा सकती। भारतीय जनता पार्टी की सभी मांगों का समर्थन करती है एवं निकम्मी सरकार के खिलाफ हर संघर्ष में आपके साथ मजबूती से खड़ी है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार का जिस प्रकार का आदेश और निर्देश होता है उसी के अनुसार जिला प्रशासन काम करता है, लेकिन कल जिस प्रकार से हटिया के डीएसपी ने आंदोलन स्थल पहुंचकर महिलाओं को भद्दी-भद्दी गालियां दी और यह वही डीएसपी हैं जो साहिबगंज में भी थे और वहां पर रूपा तिर्की की हत्या हुई थी और उस समय जिस प्रकार उन्होंने अपने सबोर्डिनेट के विरुद्ध शब्दों का प्रयोग किया था।

ऐसे पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाने से ही यह समझ में आता है कि सरकार की मंशा क्या है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार चाहती है कि आंदोलन को कुचल देना चाहिए ताकि जो आंदोलनरत रहते हैं वह वहां से भाग जाए। मरांडी ने कहा कि 17 से 18 दिन से यह लोग धरने पर अपनी मांगों को लेकर बैठे हैं और सरकार का कोई भी नुमाइंदा इनसे बात करने को तैयार नहीं है।

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