चंपाई की नाराजगी को नजरअंदाज कर हेमंत क्या दे रहे हैं संकेत, जमशेदपुर में उनके बयान के कई हैं मायने...

रांची। “जिक्र क्या जुबा पर नाम नहीं..इससे बढ़कर और कोई इंतकाम नहीं”..ये चंद पक्तियां ही इन दिनों झारखंड की सियासत को अपने आसपास समेटे हुए है। चंपाई सोरेन की 72 घंटे पहले दहाड़ ना जाने अब कहां गुम हो गयी है...दूसरी तरफ हेमंत सोरेन है कि चंपाई सोरेन की नाराजगी से बिल्कुल किनारा ही कर ले रहे हैं।

हालांकि चंपाई सोरेन पर खामोशी ओढ़कर राजनीतिक खेल भी खेल रही है और साईक्लोजिकल गेम भी चल रही है।

चंपाई सोरेन अगर तीन दिन से कुछ आगे नहीं बढ़ पाने की स्थिति में है, तो वो है JMM की खामोशी। जमशेदपुर में भी हेमंत सोरेन ने चंपाई सोरेन प्रकरण से ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें तो चंपाई सोरेन की नाराजगी की जानकारी ही नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की पार्टी से नाराजगी के बारे में पत्रकारों ने पूछा, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें चंपाई सोरेन की नाराजगी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जब उनकी नाराजगी का मामला उनके पास आयेगा, उसे गंभीरता से लेंगे और उस पर विचार करेंगे।

झामुमो पूरे दम-खम के साथ अपने सहयोगी दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी. विरोधी दल को अभी से ही हार का डर सताने लगा है। इसलिए ओछी हरकत करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

हालांकि हेमंत सोरेन ने जिस तरह से चंपाई सोरे की नाराजगी से कन्नी काट रहे हैं, उससे एक बात तो ये साफ है कि पार्टी अब चंपाई दा को उतना तवज्जो दे नहीं रही है। नहीं तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि सूबे के मुख्यमंत्री को अपने मंत्री की नाराजगी का कुछ पता ही नहीं हो।


जाहिर है झामुमो ने अपनी लकीर खींच ली है कि अगर चंपाई को पार्टी में रहना है, तो उन्हें पार्टी के हिसाब से चलना होगा। नहीं तो वो जो भी चाहें कदम उठा सकते हैं।

दूसरी तरफ झामुमो को ये भी लगता है कि लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर उन्होंने ये साबित कर लिया है कि पार्टी को अब नयी सोच के साथ आगे बढ़ाना है, पुराने नेता अगर खुद का वर्चस्व साबित करने कोशिश करते हैं तो उन्हें साइड पार्टी लगा देगी।

Aditya
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